Chandrashekhar Azad News: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के मुखिया और नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा प्रहार किया है. दरअसल, एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने 'हरिजन' शब्द का प्रयोग किया था, जिसपर चंद्रशेखर ने आपत्ति जताई है. चंद्रशेखर ने हमला बोलते हुए कहा कि 'समाज को 'सीएम, हरिजन' और 'गैर हरिजन' में बांट रहे हैं. क्या शब्द के प्रयोग से उनका तथाकथित हिंदू खतरे में नहीं आता?' मालूम हो कि इसी शब्द का बसपा चीफ मायावती ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के वक्त विरोध जताया था. मायावती ने तब कहा कि था कि 1977 में जनता पार्टी के लोग हरिजन शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे और तब उन्होंने इसकी मुखालफत की थी.
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जानें चंद्रशेखर ने क्या कहा?
चंद्रशेखर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "चुनावी रैलियों में "बटेंगे तो कटेंगे" का नारा देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी खुद सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मंच पर समाज को 'हरिजन' और 'गैर हरिजन' में बांट रहे हैं. क्या शब्द के प्रयोग से उनका तथाकथित हिंदू खतरे में नहीं आता? जबकि 1982 में केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों के लिए एक एडवाइजरी जारी कर अनुसूचित जातियों के लिए 'हरिजन' शब्द का इस्तेमाल न करने को कहा था."
उन्होंने कहा, "2010 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस संबंध में नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी करके इस पर रोक लगाई थी. यहां तक कि माननीय न्यायालय द्वारा भी इसे अपमानजनक बताते हुए प्रतिबंध लगाया गया था. इतने महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को क्या इन निर्णयों की जानकारी नहीं है? या जानबूझकर "हरिजन" शब्द का प्रयोग करके अनुसूचित वर्ग के लोगों का अपमान किया जा रहा है?"
बकौल चंद्रशेखर, "जब गांधी जी ने अछूतों के लिए हरिजन शब्द का इस्तेमाल करना शुरू किया, तो परम पूज्य बाबा साहेब डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर जी ने इसका कड़ा विरोध किया और इसे अपमानजनक शब्द बताया था. ये सवाल उस समय भी पूछा गया था और आज भी प्रासंगिक है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी बताएं, यदि अनुसूचित जाति के लोग 'हरिजन' हैं तो बाकी अन्य लोग ‘हरि’ के जन नहीं तो किसके जन हैं?"
मायावती ने क्या कहा था?
हरियाणा विधानसभा चुनाव के वक्त मायावती ने एससी-एसटी समुदाय के लिए 'हरिजन' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह शब्द अपमानजनक है. उन्होंने बताया कि 1997 के एक सम्मेलन में उन्होंने 'हरिजन' शब्द का प्रयोग करने के लिए सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी.
मायावती ने कहा, ''...मुझे याद है कि 1977 में जब मैं कानून की पढ़ाई कर रही थी, तब मैं दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी प्रथम वर्ष की छात्रा थी. 1977 में जनता पार्टी सत्ता में आई और उन्होंने कहा था कि वे बाबू जगजीवन राम को देश का प्रधानमंत्री बनाएंगे, जिन्हें कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री नहीं बनाया और जनता पार्टी ने भी नहीं बनाया."
उन्होंने आगे कहा, "1977 में दलित वर्ग के लोग, अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोग पूरे देश में बहुत नाराज थे. उस समय उन्होंने दिल्ली में तीन दिन का 'जाति तोड़ो सम्मेलन' रखा और उसमें मुझे उन्होंने बोलने के लिए बुलाया और जब मैं उस सम्मेलन में बोलने के लिए गई तो वहां पर जितने भी जनता पार्टी के नेता थे, वो बार-बार हरिजन शब्द का इस्तेमाल कर रहे थे. मैंने उनको कहा कि एक तरफ तो आप जाती की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ आप हरिजन कह रहे हैं. यदि हम इसको सकारात्मक रूप में लें तो हरी का मतलब ईश्वर होता है...हम तो ईश्वर की औलाद होंगे, बाकी लोग क्या शैतान की औलाद हैं?"
मायावती के अनुसार, "इसके बाद जनता पार्टी के नेताओं ने माफी मांगी और इस बात पर सहमति जताई कि संविधान के अनुसार एससी, एसटी और ओबीसी शब्दों का इस्तेमाल करना अधिक उचित होगा. उन्हें यह स्वीकार करना पड़ा कि बहनजी जो कह रही थीं, वह सही था."
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