UP चुनाव: मायावती के कामों का लेखा-जोखा वाला फोल्डर जनता तक पहुंचाएगी BSP

यूपी तक

• 07:26 AM • 23 Nov 2021

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती ने 23 नवंबर को मीडिया से…

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती ने 23 नवंबर को मीडिया से बातचीत की.

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इस दौरान उन्होंने कहा,

“बीएसपी कहने में कम जबकि काम करके दिखाने में ज्यादा विश्वास रखती है. इसलिए हमारी पार्टी दूसरी पार्टियों की तरह अपना कोई भी चुनावी घोषणा पत्र आदि जारी नहीं करती है. इसके बिना ही यूपी में बीएसपी के नेतृत्व में बनी सरकार ने प्रदेश के विकास के असंख्य ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिन्हें चुनाव में प्रदेश की जनता को याद दिलाने के लिए एक फोल्डर तैयार किया गया है, जो पार्टी की ओर से जन-जन तक पहुंचाया जाएगा.

मायावती, बीएसपी चीफ.

उन्होंने आगे कहा कि लोगों को यह भी आश्वस्त किया जाएगा कि बीएसपी की सरकार बनने पर फिर से सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाए के कार्य किए जाएंगे.

मायावती ने फोल्डर जारी करते हुए कहा, “यूपी की सभी 403 विधानसभा सीटों, गांव-गांव और कस्बों में इस फोल्डर को लोगों के हाथों में दिया जाएगा. ताकि उन्हें यह एहसास हो जाए कि मेरे नेतृत्व में बनी सरकार ने यूपी में क्या-क्या महत्वपूर्ण कार्य किए हैं.”

मायावती ने एसपी और बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, “समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी मेरे ही कार्यों को इधर-उधर कर उनकी शेप बदल के उनको अपना कार्य दर्शाती रही हैं.”

मायावती ने बताया, “उत्तर प्रदेश में जो 86 सुरक्षित विधानसभा की सीटें हैं, आज मैंने उनके पार्टी अध्यक्षों को उनके काम का रिव्यू करने के लिए बुलाया है. सभी सुरक्षित विधानसभा की सीटों को जिताने के लिए ठोस रणनीति तय करने पर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा.”

मायावती ने सतीश चंद्र मिश्रा को दी ये जिम्मेदारी-

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सभी सुरक्षित विधानसभा की सीटों पर ‘अपर कास्ट’, खासकर ब्राह्मण समाज को जोड़ने के लिए उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा और उनकी टीम को जिम्मेदारी सौंपी है.

तीन कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा पर मायावती ने क्या कहा?

बीएसपी चीफ मायावती ने कहा, “केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून तो वापस ले लिए हैं, लेकिन सरकार को किसान संगठनों के साथ बैठकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए ताकि किसान लोग खुशी-खुशी अपने घर वापस जाकर अपने काम में लग जाएं. केंद्र सरकार को इस मामले को ज्यादा नहीं लटकाना चाहिए.”

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