UP Nikay Chunav. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (UP Urban body elections) बिना ओबीसी आरक्षण के कराने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार के नगरीय निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द भी कर दिया है.
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कोर्ट के इस फैसले पर राजनीतिक दलों की तरफ से लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की अध्यक्ष और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
मायावती ने कोर्ट के फैसले को लेकर बीजेपी सरकार को ओबीसी आरक्षण का विरोधी बताया और कहा कि इस गलती की सजा ओबीसी समाज बीजेपी को जरूर देगा.
बीएसपी चीफ ने ट्वीट कर कहा,
“यूपी में बहुप्रतीक्षित निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार के तहत मिलने वाले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी का संज्ञान लेने सम्बंधी माननीय हाईकोर्ट का फैसला सही मायने में भाजपा व उनकी सरकार की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है.”
मायावती
एक दूसरे ट्वीट में मायावती ने कहा, “यूपी सरकार को मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अनुपालन करते हुए ट्रिपल टेस्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था को समय से निर्धारित करके चुनाव की प्रक्रिया को अन्तिम रूप दिया जाना था, जो सही से नहीं हुआ. इस गलती की सजा ओबीसी समाज बीजेपी को जरूर देगा.”
बता दें कि कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दिया है. यानी कोर्ट ने सरकार के द्वारा जारी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. अब ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के द्वारा जारी की गई ओबीसी आरक्षण सूची को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी को आरक्षण देने के लिए एक डेडिकेटेड कमीशन बनाया जाए, तभी दिया जा सकेगा ओबीसी आरक्षण.
कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि सरकार ट्रिपल टी फॉर्मूला अपनाए, इसमें समय लग सकता है. ऐसे में अगर सरकार और निर्वाचन आयोग चाहे तो बिना ओबीसी आरक्षण के ही तुरंत चुनाव करवाया जा सकता है.
कोर्ट के इस आदेश के बाद अब प्रदेश में किसी भी तरह का ओबीसी आरक्षण नहीं रह गया है. यानी सरकार द्वारा जारी किया गया ओबीसी आरक्षण नोटिफिकेशन रद्द हो गया है. अगर सरकार या निर्वाचन आयोग अभी चुनाव कराता है तो ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को जनरल मानकर चुनाव होगा. वहीं दूसरी तरफ एससी-एसटी के लिए आरक्षित सीटें यथावत रहेंगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया.
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