उत्तर प्रदेश की नई सरकार के 53 में से 22 मंत्री अपराधिक रिकॉर्ड वाले हैं. मंत्री परिषद के 45 सदस्यों के हलफनामे एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और यूपी इलेक्शन वॉच ने खंगाले तो ये रिकॉर्ड सामने आए.
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एडीआर और यूपी इलेक्शन वॉच के मुताबिक, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 22 मंत्रियों में से 20 के खिलाफ हत्या, जानलेवा हमला, अपहरण, फिरौती या रेप व महिला उत्पीड़न जैसे गंभीर प्रकृति के आरोपों में एफआईआर दर्ज हैं.
विश्लेषण के रडार में आए 45 मंत्रियों में से 39 करोड़पति हैं. मंत्रिपरिषद के सदस्यों के पास संपत्ति का औसत 9 करोड़ रुपये है. तिलोई से विधायक चुन कर मंत्रिमंडल में आए मयंकेश्वर शरण सिंह पौने 59 करोड़ रुपये की चल अचल संपदा और नकदी के साथ अव्वल नंबर पर हैं.
मंत्रिपरिषद के सबसे गरीब सदस्य विधान परिषद के विधायक धर्मवीर सिंह हैं जिनके पास निजी संपत्ति के नाम पर कुल 42.91 लाख रुपये की संपदा है. 27 मंत्रियों ने अपनी देनदारी का जिक्र भी हलफनामे में किया है. इनमें भोगनीपुर के विधायक राकेश सचान पर 8 करोड़ 17 लाख रुपये की देनदारी है.
53 में से जिन 45 मंत्रियों ने अपने चुनाव के नामांकन पत्र के साथ संलग्न किए थे उनमें से 36 स्नातक या पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री वाले हैं, जबकि नौ की शिक्षा 8 वीं से 12 वीं तक की है. हलफनामे के मुताबिक 20 मंत्री 20 से 50 साल के बीच की उम्र के हैं जबकि अधेड़ यानी 51 से 70 साल के बीच की अवस्था के 25 विधायक मंत्रिपरिषद के सदस्य बने हैं.
एडीआर के मुताबिक, विधान परिषद से मंत्रिमंडल के सदस्य संजय निषाद और जितिन प्रसाद के ताजा हलफनामे निर्वाचन आयोग के पास नहीं हैं. उनके अलावा जेपीएस राठौर, नरेंद्र कश्यप, दिनेश प्रताप सिंह दया शंकर मिश्र दयालु, जसवंत सैनी और दानिश अंसारी आजाद के हलफनामे उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि ये लोग फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं.
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