इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को दो समलिंगी लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया और कहा कि अदालत लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है.
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जस्टिस डीके ठाकर और जस्टिस अजय त्यागी की बेंच ने अंजू सिंह और उसकी लिव इन पार्टनर की सुरक्षा प्रदान करने किए जाने के अनुरोध संबंधी याचिका पर यह राहत प्रदान की.
अंजू सिंह और उसकी साथी ने याचिका में आरोप लगाया था कि अगर उन्हें सुरक्षा नहीं दी जाएगी तो उनका उत्पीड़न किया जाएगा और शांतिपूर्ण ढंग से साथ में रहने नहीं दिया जाएगा.
अदालत के सामने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि वे बालिग हैं और एक ही लिंग की हैं और लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहती हैं.
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उनके माता-पिता ने संबंध खत्म न करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी है और आपराधिक मामले में झूठा फंसाने की भी धमकी दी है.
इस पर अदालत ने कहा कि वो लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है. अदालत ने पुलिस को सभी दस्तावेजों का सत्यापन करने के बाद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
अदालत ने यह आदेश पारित करते समय ज्ञान देवी बनाम अधीक्षक, दिल्ली नारी निकेतन और अन्य और लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का संदर्भ भी लिया.
‘लिव इन’ रिलेशन जीवन का हिस्सा बन गए हैं: इलाहाबाद हाई कोर्ट
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