भागवत बोले- ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति, लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों?
वाराणसी में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. संघ…
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वाराणसी में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. संघ प्रमुख ने कहा है कि ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों. आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कोर्ट कमिश्नर के सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने कथित तौर पर एक शिवलिंग मिलने का दावा किया है. वहीं, मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा है. मामला फिलहाल वाराणसी कोर्ट में विचाराधीन है.
मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी विवाद उपास्थना स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन है और यह पूरा केस पोषणीय ही नहीं है. वाराणसी अदालत में केस की पोषणीयता को लेकर दोनों पक्षों की तरफ से अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक मोहन भागवत ने कहा कि, ‘कुछ जगहों के प्रति हमारी अलग भक्ति थी और हमने उसके बारे में बात की है, लेकिन हमें रोजाना एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए. हमें विवाद क्यों बढ़ाना? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसी के अनुसार कुछ करना ठीक है, लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों.’
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उन्होंने आगे कहा कि, ‘ज्ञानवापी के मुद्दा चल रहा है. इतिहास तो है जिसे हम बदल नहीं सकते. इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा. हमलावरों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था. उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया.’
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मोहन भागवत ने ज्ञानवापी विवाद पर कहा, ‘मन में कोई मुद्दे हों तो उठ जाते हैं. यह किसी के खिलाफ नहीं है. इसे ऐसा नहीं माना जाना चाहिए. मुसलमानों को ऐसा नहीं मानना चाहिए और हिंदुओं को भी ऐसा नहीं करना चाहिए. कुछ ऐसा है तो आपसी सहमति से रास्ता खोजें.’
हालांकि उन्होंने आगे यह भी कहा कि, ‘…लेकिन हर बार रास्ता नहीं निकल सकता, जिसके कारण लोग अदालत जाते हैं और अगर ऐसा किया जाता है तो अदालत जो भी फैसला करे उसे स्वीकार करना चाहिए.’ संघ प्रमुख ने कहा कि हमें अदालत के फैसलों पर सवाल नहीं उठाना चाहिए.
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