हाईकोर्ट ने AU के 3 प्रोफेसरों पर लगा SC-ST केस किया रद्द, महिला शिक्षिक पर लिया ये सख्त एक्शन

आनंद राज

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Allahabad High court
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Prayagraj News: एससी-एसटी एक्ट को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है. दरअसल कई बार इस कानून के गलत इस्तेमाल के मामले भी सामने आए हैं. इसी बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक बड़ा फैसला सामने आया है. दरअसल हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के तीन प्रोफेसरों के खिलाफ एससी-एसटी केस समेत अन्य केस रद्द कर दिए हैं. इसी के साथ कोर्ट ने फर्जी शिकायत दर्ज करवाने वाली महिला असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की है. कोर्ट ने महिला असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ 15 लाख का जुर्माना लगाया है. 

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने अपने सीनियर प्रोफेसरों से बदला लेने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल किया है. इसी के साथ कोर्ट ने प्रोफेसरों के खिलाफ दर्ज केस, चार्जशीट को भी रद्द कर दिया है. बता दें कि कोर्ट ने प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण, प्रोफेसर प्रहलाद कुमार और प्रोफेसर जावेद अख्तर की याचिका पर ये फैसला सुनाया है.

क्या था पूरा मामला

दरअसल ये पूरा मामला इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग से सामने आया है. अर्थशास्त्र विभाग की एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर ने विभाग के 3 सीनियर प्रोफेसरों के खिलाफ एससी-एसटी और यौन उत्पीड़न समेत कई आरोपों में कई बार शिकायतें की थी और केस दर्ज करवाया था.

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कमेटी ने जांच की तो ये सामने आया

बता दें कि मामले की जांच के लिए 2 बार कमेटी गठित हुई. कमेटी की जांच में महिला प्रोफेसर की शिकायतें फर्जी पाई गई. इसके बाद महिला प्रोफेसर ने कर्लनगंज थाने में तीनों प्रोफेसर्स के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया था.  

बता दें कि पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट भी दायर कर दी थी और स्पेशल जज एससी-एसटी कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी कर दिए थे. इसी को लेकर आरोपी प्रोफेसरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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तीनों प्रोफेसरों को देने होंगे 5-5 लाख रुपये

बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए प्रोफेसरों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को झूठा करार दिया है और केस को रद्द करने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने महिला प्रोफेसर के खिलाफ भारी जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने आरोप लगाने वाली महिला प्रोफेसर के खिलाफ 15 लाख का जुर्माना लगाया है. महिला प्रोफेसर को 5-5 लाख रुपये तीनों प्रोफेसरों को देने होंगे.

शिक्षिका ने किया कानून का गलत इस्तेमाल

बता दें कि कोर्ट ने 13 फरवरी के दिन ही मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने बीते शुक्रवार को ही अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने साफ कहा कि शिकायतकर्ता ने सिर्फ बदला लेने की भावना से कानून का गलत इस्तेमाल किया है.

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कोर्ट ने कहा कि महिला प्रोफेसर ने विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसरों को सिर्फ इसलिए फंसाने की कोशिश कर रही थी कि क्योंकि वह उसे ठीक से पढ़ाने और नियमित तौर से कक्षाएं लेने के लिए कहते थे. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता शिक्षित महिला है और उसे कानून और कानूनी प्रक्रिया का ज्ञान है. शिक्षिका ने कानून का गलत इस्तेमाल किया है. फर्जी केस की वजह से प्रोफेसरों की प्रतिष्ठा धूमिल हुई और उन्हें थाने से लेकर कोर्ट तक के चक्कर लगाने पड़े हैं. कोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की राशि महिला प्रोफेसर के वेतन से काटी जाए.

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