जय श्रीराम-जय सियाराम नारे में है कोई फर्क? BHU के धर्मशास्त्र के ज्ञाता ने दिया ये तर्क

रोशन जायसवाल

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Varanasi News Hindi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भाजपा और RSS को यह कहकर घेरना कि ‘वे कभी जय सियाराम का संबोधन नहीं करते, बल्कि जय श्रीराम का ही नारा लगाते हैं’ ने एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है. मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र के एक ज्ञाता ने लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद पर यह कहकर ‘अंकुश’ लगा दिया है कि जय श्रीराम या जय सियाराम या जय सीताराम का नारा एक ही है. उन्होंने यह भी कहा कि भगवान के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और जो ऐसा कर रहें हैं वह अज्ञानतावश कर रहें हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग के प्रोफेसर माधव जनार्दन रटाटे ने बताया, “जय श्रीराम या जय सियाराम दोनों एक ही हैं और दोनो ही सही हैं. क्योंकि श्री शब्द का अर्थ लक्ष्मी होता है और भगवान शब्द में भग के 6 अर्थ हैं. जिनमें से एक अर्थ श्री भी है. इसलिए परमात्मा भगवान श्रीमान हैं यानी श्री से युक्त हैं. इसका मतलब ये हुआ कि वही लक्ष्मी हैं, वही पार्वती हैं….जिस भी नाम से उनको संबोधित करिए.”

यूपी समाचार: उन्होंने कहा, “भगवान विष्णु ने जब रामा का अवतार लिया, तो उसी वक्त लक्ष्मी जी यानी श्री ने सीता का अवतार लिया. इसलिए श्री और सीता दोनों एक ही हैं. जय श्री राम या जय सियाराम या जय सीताराम कहिए सबकुछ एक ही है. श्री ही सीता है. सीता ही श्री का रूप है और दूसरा कुछ नहीं.”

प्रोफेसर माधव जनार्दन रटाटे के अनुसार, “भगवान के नाम के साथ राजनीति उचित नहीं है और लोग इसके पीछे के ज्ञान को नहीं जान रहें हैं. इसलिए इस तरह की बाते कर रहें हैं. ऐसे में हमारे शास्त्र पढ़कर ही कुछ बोलना चाहिए.”

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