सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद AMU से आया पहला रिएक्शन, प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम ने बड़ी बात कह दी

यूपी तक

ADVERTISEMENT

AMU News
AMU News
social share
google news

AMU Latest News: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्णय से ये साफ हुआ है कि फिलहाल AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसके इस नए फैसले के आलोक में अब तीन जजों की रेगुलर बेंच ये तय करेगी कि AMU को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाना चाहिए तो कैसे दिया जाना चाहिए. अब इस मामले में AMU की ओर से बड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है. AMU के प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम ने बड़ा बयान दिया है. 
 

उन्होंने कहा, "जो पहली इन्फॉर्मेशन सामने आई है, उसमें यह है कि अजीज बाशा का जो पांच बेंच का जजमेंट था, उसको सुप्रीम कोर्ट ने ओवर रूल कर दिया है. और आगे कोई बेंच बना दी है, जो स्टेटस को तय करेगी. पूरे जजमेंट को पढ़ने के बाद में ही सही प्रतिक्रिया दी जा सकती है. 

 

 

AMU में अभी कैसा है माहौल?

उन्होंने आगे कहा, "एएमयू में फिलहाल बिल्कुल शांति व्यवस्था है. आज पूरे दिन सारी क्लासेस हुई हैं. जहां एग्जाम थे, वहां एग्जाम भी हुए हैं. बिल्कुल सिचुएशन नॉर्मल है. किसी भी तरीके की कोई लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन नहीं है. आज फ्राइडे है.  साढ़े बारह बजे सारी क्लास खत्म हो जाती हैं. अब फैकल्टीज बंद हो गई हैं. लड़के अपने-अपने हॉस्टल जा चुके हैं."

क्या है विवाद?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा 'अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज' के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य मुसलमानों के शैक्षिक उत्थान के लिए एक केंद्र स्थापित करना था. बाद में, 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और इसका नाम 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय' रखा गया.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

एएमयू अधिनियम 1920 में साल 1951 और 1965 में हुए संशोधनों को मिलीं कानूनी चुनौतियों ने इस विवाद को जन्म दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 1967 में कहा कि एएमयू एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. लिहाजा इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता. कोर्ट के फैसले का अहम बिंदू यह था कि इसकी स्थापना एक केंद्रीय अधिनियम के तहत हुई है ताकि इसकी डिग्री की सरकारी मान्यता सुनिश्चित की जा सके. अदालत ने कहा कि अधिनियम मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रयासों का परिणाम तो हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि विश्वविद्यालय की स्थापना मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने की थी. 


 

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT