यूं ही राजनीति में नहीं आए थे राजा भैया, पहले ‘गुरुदेव’ का मिला आशीर्वाद फिर हमेशा रहे अजेय
Raja Bhaiya News: उत्तर प्रदेश में बाहुबली नेताओं का जिक्र होते ही एकाएक जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का…
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Raja Bhaiya News: उत्तर प्रदेश में बाहुबली नेताओं का जिक्र होते ही एकाएक जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का नाम सामने आ जाता है. देश में बेशक राजे-रजवाड़े और रियासतें खत्म हो गई हों, लेकिन प्रतापगढ़ की जनता आज भी रघुराज प्रताप सिंह को अपना ‘राजा’ मानती है. इन दिनों राजा भैया अपनी ससुराल को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. दरअसल, यूपी सरकार बस्ती राजभवन को हेरिटेज साइट के तौर पर विकसित करने की योजना पर काम कर रही है. बस्ती राजभवन का राजा भैया की पत्नी से सीधा संबंध है. वहीं, जब अब राजा भैया की चर्चा चल ही रही है तो हम आपको उनसे जुड़ा एक रोचक किस्सा सुनाते हैं. इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल ‘दी लल्लनटॉप’ को दिए एक इंटरव्यू में राजा भैया ने बताया था कि उनके पिता इस बात के लिए राजी नहीं थे कि वह चुनाव लड़ें, लेकिन बाद में वह मान गए. खबर में आगे जानिए राजा भैया की राजनीति में आने की पूरी कहानी, उन्हीं की जुबानी.
जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुखिया राजा भैया ने कहा, “हमारे घर में किसी ने वोट की राजनीति नहीं थी. 1992 में हम पढ़ाई करके लौटे तो लोग आकर कहने लगे कि आप चुनाव लड़िए. ये सुनकर थोड़ा हमें अजीब लगा. एक के बाद एक ट्रैक्टर से, ट्रॉली से लोग आने लगे…विश्वास करिए बड़ी तादाद में लोग आते थे. हमारे परिवार में किसी ने राजनीति नहीं थी, कोई अनुभव नहीं था…तो फिर ये हुआ कि नामांकन भर दिया दें, लेकिन यह आत्मविश्वास था कि जीत होगी.”
राजनीति में आने के लिए आपने पिताजी को कैसे मनाया? इसपर राजा भैया ने कहा, “हमारे गुरु परम पूज्य देवरहा बाबा का शरीर उस समय छूट चुका था. उन्होंने समाधि ले ली थी. पिता जी के गुरु दक्षिण भारत में शिव बालयोगी महाराज जी थे. पिता जी ने कहा कि तुम वहां जाओ. अगर उनकी अनुमति होती है तो तुम चुनाव लड़ सकते हो. तो हम बंगलुरु गए, महाराज जी का आशीर्वाद लिया. हमने उनसे कहा ऐसी-ऐसी बात है पिता जी ने आपके पास भेजा है. जो आप कहें, हम करें. तो उन्होंने आशीर्वाद दिया कि चुनाव लड़ो, सफल होगे. खूब अच्छा काम करना. उसके बाद राजनीति में आने का हमारा रास्ता साफ हुआ.”
आपको बता दें कि पिता के गुरु का आशीर्वाद लेने के बाद राजा भैया ने 1993 में अपना पहला चुनाव लड़ा और तब से लेकर अब तक राजा भैया अजेय रहे हैं.
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