आजम खां को झटका, जौहर ट्रस्ट से अधिग्रहित जमीन वापस लेने का आदेश हाई कोर्ट ने वैध ठहराया

कुमार अभिषेक

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रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां की मुश्किलें आसान होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब आजम खां को मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी मामले में कानून व शर्तों का उल्लंघन भारी पड़ता दिखाई दे रहा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें एडीएम वित्त द्वारा अधिग्रहित जमीन ट्रस्ट से वापस लेने का आदेश दिया गया था. हाई कोर्ट ने एडीएम वित्त के अतिरिक्त अधिग्रहण वापस लेने के आदेश को वैध करार दिया है.

हाई कोर्ट ने 12.50 एकड़ जमीन के अतिरिक्त बाकी अधिग्रहित जमीन को वापस लेकर राज्य में निहित करने की कार्रवाई को सही ठहराया है. आजम खान के ड्रीम प्रोजेक्ट यानी मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए लगभग 471 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी. अब सिर्फ 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के अधिकार में रहेगी. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यूपी सरकार को अधिकार कि वह जमीन वापस ले सकती है.

कोर्ट ने इसका साथ-साथ अन्य गड़बड़ियां भी पाई हैं. कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना डीएम की अनुमति के अवैध रूप से ली गई. इसके अलावा अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण की बजाय मस्जिद बनाई गई. गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन भी ले ली गई. किसानों से जबरन बैनामा लिया गया, जिसमें 26 किसानों ने पूर्व मंत्री और ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के खिलाफ केस भी कर रखा है.

हाई कोर्ट ने कहा कि यहां निर्माण पांच साल में होना था, लेकिन वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई. कोर्ट ने कानूनी उपबंधों व शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

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