कृषि कानून की वापसी की घोषणा पर असहमत दिखे BJP सांसद, बोले- ‘PM ने मजबूरी में फैसला लिया’

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पिछले करीब सवा साल से चल रहे किसानों के आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. इन कानूनों की वापसी की घोषणा होते ही किसान संगठनों ने इसका ‘स्वागत’ किया. वहीं, फर्रुखाबाद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के ही सांसद मुकेश राजपूत प्रधानमंत्री की इस घोषणा से असहमत दिखे रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मजबूरी में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है.

बता दें कि बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत शुक्रवार को कायमगंज स्थित सहकारी चीनी मिल के पेराई सत्र का उद्घाटन करने पहुंचे थे. यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा ‘मैं किसान कानून वापस लिए जाने से सहमत नहीं हूं.’ उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री से अनुरोध करेंगे कि इन कानूनों का सरलीकरण कर, इन्हें फिर से लागू किया जाए.

बीजेपी सांसद ने कहा,

“जो कृषि कानून वापस लिए गए हैं, उससे किसानों के पैरों में फिर से बेड़िया पड़ेंगी. इन तीनों कानून के आने से किसानों की बेड़िया टूटी थीं. ये कानून वापस नहीं होने चाहिए थे, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस और विपक्षी दलों ने किसानों को गुमराह किया है, इससे देश का नुकसान हो रहा था. इसलिए प्रधानमंत्री जी ने मजबूरी में कानून वापस लिए, मैं इससे सहमत नही हूं. इन कानून से देश के किसी भी किसान का नुकसान नहीं हो रहा था.”

मुकेश राजपूत, बीजेपी सांसद.

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भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत पर टिप्पणी करते हुए बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत ने कहा, “वह बताएं कि इन कानून से देश के किस किसान का नुकसान हुआ है. उनके पिता जी किसानों के लिए आंदोलन करते थे और यह किसानों का नुकसान कर रहे हैं. इन कानून के वापस होने से किसानों के हाथ-पैरों में फिर से बेड़ियां पड़ जाएंगी.”

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की. इसके साथ ही उन्होंने एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति गठित किए जाने का भी एलान किया.

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(फीरोज खान और भाषा के इनपुट्स के साथ)

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