घोसी उपचुनाव: अखिलेश का PDA फॉर्मूला पास मगर BJP की करारी हार की इनसाइड स्टोरी भी जान लीजिए

कुमार अभिषेक

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UP Politics News: घोसी उपचुनाव (Ghosi By Election) का परिणाम सामने आ गया है. घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दी है. भाजपा ने घोसी में अपना पूरा जोर लगाया. मगर जनता ने सपा को ऐसी जीत दी, जिसकी उम्मीद खुद सपा को नहीं होगी.

दरअसल बीजेपी को उम्मीद थी कि वह घोसी में इस बार चाहे जिस पर दांव लगा ले, वह उसे जिता ले जाएगी. भाजपा का मानना था कि उनके पास ओमप्रकाश राजभर जैसे नेता हैं. दारा सिंह चौहान खुद में उम्मीदवार हैं और उनकी जाति के लोगों की घोसी में बड़ी तादाद है. मगर भाजपा की एक भी रणनीति घोसी में नहीं चली और सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने दारा सिंह चौहान को 42 हजार से भी अधिक मतों से हरा दिया.

ठाकुर वोट भी मिला और पीडीए भी काम कर गया

सियासी पंडितों की मानें तो घोसी उपचुनाव में भाजपा के सारे जातीय समीकरण धराशाई हो गए. इस चुनाव में भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव में मिले 86 हजार वोटों तक भी नहीं पहुंच पाई. सियासी जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में सपा का पीडीए यानी दलित-पिछड़ा और अल्पसंख्यक फॉर्मूला कामयाब हो गया. सपा की तरफ से ठाकुर प्रत्याशी को उतारा गया. इसके बाद भी सपा को पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के वोट मिले. ऐसे में क्या माना जाए कि ये भाजपा नीत एनडीए के लिए खतरे की घंटी है और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए चिंता की बात?

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सपा ने BJP के वोट बैंक में की सेंधमारी

बता दें कि घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के वोट बैंक में मजबूत सेंधमारी की है. सपा को ठाकुर-भूमिहार, वैश्य, राजभर, निषाद और कुर्मी मतदाताओं को अच्छे वोट मिले हैं. माना जा रहा है कि दलितों का एक बड़ा तबका भी समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट हुआ है, जिससे सपा को चुनाव में बड़ी जीत मिली है.

सवर्ण मतदाताओं ने किया सपा को वोट

माना जा रहा है कि इस उपचुनाव में अखिलेश के पीडीए की जीत हुई है और बीजेपी का अति आत्मविश्वास उसे ले डूबा है. चुनाव में हार के बाद यह साफ हो गया कि इस चुनाव में भाजपा के कोर वोटर ने भी उससे दूरी बना ली थी. खासकर सवर्ण मतदाताओं का बड़ा तबका समाजवादी पार्टी के साथ चला गया.

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BJP के लिए खतरे की घंटी

माना जा रहा है कि इस हार की सबसे बड़ी वजह बीजेपी के कोर वोटर की नाराजगी है और दलित वोटरों का बड़ी तादाद में सपा की तरफ जाना है. बता दें कि अखिलेश यादव ने इसे इंडिया गठबंधन की जीत करार दिया है. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी भी सवर्ण वोटरों को साधने में जुटी है. अखिलेश औऱ कांग्रेस की रणनीति को भाजपा के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है.

बता दें कि घोसी उपचुनाव में मिली करारी हार को भाजपा दारा सिंह चौहान की हार बता रही है. मगर अंदर ही अंदर इस हार ने बीजेपी को गरहे जख्म भी दिए हैं. बरहाल बीजेपी में अब समीक्षा और मंथन का दौर शुरू होगा. पार्टी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी हार की समीक्षा करेगी. लेकिन इस चुनावी हार ने बीजेपी को हिला कर रख दिया है.

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