AMU पोस्टर मामला: साक्षी महाराज बोले- ‘तालिबानी सोच के लोग हैं, इनके खिलाफ कार्रवाई हो’

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उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के परिसर में हाल ही में लगाए गए कुछ पोस्टरों पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. वहीं, अब इस मामले में उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा है, “कुछ लोग आस्तीन के सांप हैं. ये तालिबानी सोच के लोग हैं, इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.” दरअसल, इन पोस्टरों में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर की ओर से शोक व्यक्त किए जाने को ‘शर्मनाक’ बताया गया था. हालांकि, बाद में एएमयू प्रशासन ने इन पोस्टरों को हटा दिया था.

“मैंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है, ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो”

दरअसल, सांसद साक्षी महाराज कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करने रविवार को उनके मैरिस रोड स्थित आवास पर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने एएमयू में लगे विवादित पोस्टरों के मामले पर कहा, “कुछ लोग आस्तीन के सांप हैं, ये तालिबानी सोच के लोग हैं. मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो.”

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उन्होंने आगे कहा, “जब कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे तब विवादित ढांचा तोड़ा गया, लेकिन था तो वह मंदिर ही. बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई, उन्होंने सुधार करने का काम किया.”

पोस्टर में ऐसा क्या लिखा था, जिससे हुआ विवाद?

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पोस्टर में लिखा था, “अपराधी के लिए प्रार्थना करना अक्षम्य अपराध है.” पोस्टर पर ‘स्टूडेंट्स ऑफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ भी लिखा हुआ था.

पोस्टर में यह भी लिखा गया था, “एएमयू कुलपति की ओर से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की मौत पर शोक व्यक्त किया जाना न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि इससे हमारे समुदाय की धार्मिक भावनाएं भी आहत हुई हैं, क्योंकि यह एएमयू की संस्कृति, परंपरा और मूल्यों के खिलाफ है.”

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इसमें लिखा गया, “कल्याण सिंह न सिर्फ बाबरी मस्जिद विध्वंस के मुख्य अपराधी थे, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश न मानने के गुनहगार भी थे. कुलपति की ओर से शोक व्यक्त किया जाना पूरी एएमयू बिरादरी के लिए शर्मनाक है. यह अलीगढ़ आंदोलन की परंपराओं के लिए भी निरादरपूर्ण है, जो न्याय और समता में विश्वास रखती हैं.”

वहीं, पोस्टर में यह भी कहा गया, “हम कुलपति की इस शर्मनाक हरकत के लिए उनकी कड़ी निंदा करते हैं, क्योंकि वह एक ऐसी पार्टी के नेता का समर्थन कर रहे हैं जो सिर्फ अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए फासीवाद पर विश्वास करती है. एएमयू के छात्र और समूची एएमयू बिरादरी के साथ-साथ इतिहास भी उनकी इस बेशर्मी को कभी नहीं भुला सकेगा.”

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