आजमगढ़ में छात्रा की मौत के मामले में रातों-रात कैसे छूटे प्रिंसिपल, टीचर? परिजन अब ये बोले
Azamgarh School Case Update: आजमगढ़ में 11वीं की छात्रा श्रेया तिवारी की मौत मामले में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं. घटना के बाद…
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Azamgarh School Case Update: आजमगढ़ में 11वीं की छात्रा श्रेया तिवारी की मौत मामले में आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं. घटना के बाद परिजनों ने प्रिंसिपल सोनम मिश्रा और क्लास टीचर अभिषेक राय के ऊपर नामजद मुकदमा दर्ज कराया था, जिसकी तहत दोनों की गिरफ्तारी हुई थी. इस प्रकरण में नया मोड़ तब आया जब इस पूरे मामले की जांच मऊ जिले में ट्रांसफर कर दी गई. विवेचना के दौरान मोबाइल सीडीआर और तथ्यों के आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ की कोर्ट ने फिर से सुनवाई करते हुए प्रिंसिपल सोनम मिश्रा व क्लास टीचर अभिषेक राय को लगाई गई धाराओं से मुक्त कर दिया. वहीं, मृतका के परिजनों ने कोर्ट के इस आदेश पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं.
कोर्ट के फैसले से परिजन हैरान
आपको बता दें कि मृतकों के परिजनों ने एक तरफ जहां पुलिस की कार्रवाई को शुरुआती दौर में सही बताया था. तो वहीं अब पुलिस की विवेचना से वह वह हैरान हैं. उनका यह कहना है कि रातों-रात इस फैसले में इतना भेदभाव कैसे हो गया? मृतका की मां और पिता ने पुलिस की इस विवेचना पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
मृतका की मां नीतू ने कहा, “गरीबों के लिए कोई भी न्यायालय नहीं है. गरीबों के लिए तो कुछ भी नहीं है. पैसा है तो सब कुछ आपका है. चाहे न्यायालय हो, चाहे प्रशासन हो कुछ भी हो.”
मृतका की मां ने ये बताया
मृतका की मां आगे की कार्रवाई और बेटी के साथ न्याय की गुहार के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास अपनी बात को रखने के लिए कह रही हैं. इस दौरान परिजनों द्वारा यह भी बताया गया कि पुलिस की विवेचना जब से बदली गई है तभी से उन्हें शक था और उनके द्वारा किए गए कृत्य से वह काफी आहत हैं. परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी के ऊपर आरोप लगाना और उसके चरित्र पर सवाल उठाने का प्रकरण काफी शर्मनाक है.
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स्कूल प्रबंधन ने किया फैसले का स्वागत
उधर इस फैसले को लेकर प्रिंसिपल और क्लास टीचर को संबंधित धाराओं से मुक्त करते हुए जेल से रिहा कर दिया गया है. फिलहाल, प्रिंसिपल और क्लास टीचर मीडिया के सामने तो नहीं आए लेकिन विद्यालय प्रबंधक ने पूरे प्रकरण पर कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत करते हुए न्याय की जीत बताया है. उनका यह कहना है कि शुरुआती दौर में जो भी फैसला लिया गया जल्दबाजी में लिया गया. तथ्यों से परे था और जब इसकी जांच वैज्ञानिक तरीके से हुई है तो मामले की सच्चाई सामने आई है.
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