कानपुर : युवक के सिर में धंसा था 7 इंच का चाकू, तीन घंटे की सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने बचाई जान

रंजय सिंह

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Uttar Pradesh News : धरती पर डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता है. डॉक्टर लोगों को जीवनदान देते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur News) में ये कहावत एक बार फिर सच साबित हो गई. कानपुर में एक युवक को खत्म करने के लिए कातिल ने उसके सर में 7 इंच के चाकू से हमला कर दिया. ये चाकू युवक के कान के पास जा लगा. चाकू युवक की कनपटी में धंस गया था. डॉक्टरों ने 3 घंटे की सर्जरी के बाद चाकू बाहर निकाला और युवक की जान बचाई.

सिर में धंसा था चाकू

बता दें कि कानपुर देहात के अकबरपुर में रहने वाले दिनेश चौहान अपने पड़ोस में रहने वाले दारासिंह भदौरिया से किसी बात पर विवाद हो गया था. आरोप है कि चार अगस्त की शाम को दारासिंह ने दिनेश पर जानलेवा हमला कर दिया. उसने चाकू से दिनेश को मारने की कोशिश की. दारासिंह ने दिनेश के गले में चाकू घोंपने का प्रयास किया था, लेकिन दिनेश ने जैसे ही अपनी गर्दन हटाई तो चाकू उसके कान के पास कनपटी में जा घुसा. इस दौरान दिनेश चिल्लाने लगा तो आसपास के लोग दौड़े और आरोपी भाग गया.

45 KM का सफर करके युवक पहुंचा अस्पताल

लोगों ने दिनेश के सर में फंसे चाकू को निकालने की कोशिश की लेकिन वह जरा सा भी नहीं हिला. इसके बाद फंसे हुए चाकू के साथ ही दिनेश चौहान जिला अस्पताल कानपुर देहात पहुंचा तो वहां डॉक्टरों ने उसे कानपुर शहर के हाईलाइट हॉस्पिटल में रेफर कर दिया. अकबरपुर से सफर करता हुआ दिनेश रात लगभग एक बजे कानपुर हैलट हॉस्पिटल की इमरजेंसी में पहुंचा, जहां उसकी हालत देखकर डॉक्टर निशांत सौरभ सक्सेना ने पहले उसकी हर तरह की जांच कराई. MRI कराया जिसमें देखा चाकू अंदर तक नसों में फंसा हुआ है. अगर उसे जरा सा भी हिलाया गया तो वह ब्रेन की नश को काटकर मरीज की जान ले सकता था.

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तीन घंटे चली सर्जरी के बाद बची जान

मरीज की जांच के बाद डॉ. सक्सेना ने अपने अन्य सीनियर सर्जनों के साथ एक मीटिंग की. पता किया कि दिनेश का ऑपरेशन कैसे किया जाए. शनिवार सुबह 9 बजे दिनेश का ऑपरेशन किया गया. चार डॉक्टरों की टीम ने लगभग ढाई घंटे तक इस जटिल ऑपरेशन को पूरी सावधानी के साथ अंजाम दिया और दिनेश की कनपटी में धंसे चाकू को सावधानी के साथ बाहर निकाला. ऑपरेशन को लेकर डॉ. निशांत सौरभ सक्सेना ने कहा कि मरीज की हालत बहुत ही गंभीर थी. हल्की सी चूक से दिनेश को लकवा मार सकता था या फिर उसकी जान भी जा सकती थी. कनपटी में धंसे चाकू ने उसके दिमाग की कई नसों को काट दिया था. बड़ी ही सावधानी से इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.

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