बंदी बन जाते हैं RJ, फरमाइश पर बजते हैं गाने! कैदियों की मेंटल हीलिंग कर रहा वर्तिका नंदा का ये यूनीक जेल रेडियो

हर्ष वर्धन

10 Oct 2024 (अपडेटेड: 10 Oct 2024, 12:28 PM)

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2024 हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है. क्या आपने कभी जेल में बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सोचा है? तिनका तिनका एक ऐसी संस्था है जो आगरा जेल, उत्तर प्रदेश में जेल रेडियो के माध्यम से बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए काम कर रही है.

Picture: Vartika Nanda

Picture: Vartika Nanda

follow google news

World Mental Health Day 2024: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है. आज के समय में हर कोई मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात कर रहा है और यह जरूरी भी है. अगर आप गौर से देखेंगे तो हमारे आसपास दो तरह की दुनिया हैं. एक दुनिया के इंसान खुली हवा में घूमते हैं और नियमों के दायरे के भीतर कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं. वहीं, हमारे ही पास एक दूसरी दुनिया है, जिसका नाम जेल है. यहां रहने वाले बंदी अपने अनुसार कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र नहीं रहते हैं, क्योंकि वे यहां सजा के तौर पर आते हैं. पर क्या हमने कभी सोचा है कि जो जेल में बंदी हैं, उनकी मेंटल हेल्थ का क्या? आपको जानकारी दे दें कि देश में कुछ ऐसी संस्थाएं हैं, जो जेलों में बंदियों में सकारात्मक सुधार लाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं. उन्हीं में से एक संस्था है, जिसका नाम 'तिनका तिनका' है. आज आप इस खबर के माध्यम से जानिए कैसे तिनका तिनका उत्तर प्रदेश की आगरा जेल में जेल रेडियो के जरिए बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए अहम भूमिका निभा रहा है. 

यह भी पढ़ें...

1741 में मुगल काल के दौरान बनाई गई आगरा की जिला जेल भारत की सबसे पुरानी जेलों में से एक है. समय के साथ, यह जेल बंदियों के जीवन में सुधार और उनकी मानसिक सेहत को मजबूत करने के लिए नई पहलों का केंद्र बन गई है. साल 2019 में तिनका तिनका की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा द्वारा यहां जेल रेडियो की शुरुआत की गई, जिसने बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 

 

 

क्या है जेल रेडियो का उद्देश्य

जेल रेडियो की स्थापना का मुख्य उद्देश्य बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना और उन्हें मानसिक तनाव और अवसाद से बाहर निकालने में मदद करना था. 31 जुलाई 2019 को शुरू हुआ यह रेडियो कार्यक्रम बंदियों में अवसाद और मानसिक परेशानियों को कम करने में मील का पत्थर साबित हुआ है. इसके जरिए बंदियों को अपनी पसंद के गाने सुनने, समाचार सुनने और जानकारी प्राप्त करने का मौका मिला है. जेल रेडियो की वजह से बंदियों की मानसिक शांति बनी रहती है और वे बाहरी दुनिया से जुड़े रहने का अनुभव करते रहते हैं. 

कोरोना में मील का पत्थर साबित हुआ जेल रेडियो

कोरोना महामारी के दौरान, जब दुनिया लॉकडाउन की स्थिति में थी और बंदी अपने परिवारों से दूर हो गए थे, तब जेल रेडियो ने उनके मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर रखने में एक अहम भूमिका निभाई. इस रेडियो के माध्यम से न केवल उन्हें कोरोना के बारे में जागरूक किया गया, बल्कि बंदियों को उनके रोजमर्रा की जिंदगी में एक स्थिरता और उद्देश्य मिला.

 

 

रेडियो के संचालन में बंदियों को ही सक्रिय भागीदार बनाया गया. आईआईएम बेंगलुरु से स्नातक तुहिना को जेल की पहली महिला रेडियो जॉकी बनाया गया, जबकि स्नातकोत्तर पुरुष बंदी उदय और रजत भी इस कार्यक्रम से जुड़े. तुहिना उत्तर प्रदेश की जेलों की पहली महिला रेडियो जॉकी बनीं. इन बंदियों ने न केवल रेडियो के संचालन में मदद की, बल्कि वे इसके लिए स्क्रिप्ट भी खुद ही तैयार करते हैं. यह जिम्मेदारी उन्हें मानसिक रूप से सक्रिय रखती है और उन्हें एक रचनात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम प्रदान करती है. 

जेल रेडियो ने बंदियों को एक नई दिशा और उद्देश्य दिया है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ है. यह पहल एक उदाहरण है कि कैसे एक छोटी सी सकारात्मक गतिविधि भी बंदियों की मानसिक स्थिति को सुधार सकती है और उन्हें अवसाद से बाहर निकाल सकती है.

 

 

कौन हैं डॉ. वर्तिका नन्दा

डॉ. वर्तिका नन्दा भारत की स्थापित जेल सुधारक औस मीडिया शिक्षक हैं उनकी स्थापित तिनका तिनका फाउंडेशन ने देश की जेलों पर इकलौते पॉडकास्ट-तिनका तिनका जेल रेडियो की शुरुआत की. जिला जेल, आगरा, जिला जेल, देहरादून और हरियाणा की जेलों में रेडियो लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. उन्होंने भारत की जेलों में तिनका जेल पत्रकारिता की नींव रखी है. 2014 में भारत के राष्ट्रपति से स्‍त्री शक्ति पुरस्‍कार से सम्मानित. 2018 में सुप्रीम कोर्ट  की एक बेंच ने जेलों पर उनकी सलाहें शामिल कीं. जेलों का उनका काम दो बार लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ. जेलों पर लिखीं उनकी तीन किताबें भारतीय जेलों पर जीवंत और प्रामाणिक दस्तावेज हैं.

    follow whatsapp