आज की आधुनिक दुनिया में तकनीक ने हमारे जीवन को बहुत ही आसान और सुविधाजनक बना दिया है. चाहे बैंकिंग हो, ऑनलाइन खरीदारी हो, या सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क साधना हो, तकनीक ने सबकुछ हमारे हाथ की पहुंच में ला दिया है. लेकिन जहां इसके अनेकों फायदे हैं, वहीं इसके कुछ गंभीर नुकसान भी है. डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा ही खतरनाक तरीका है, जिसमें ठग लोगों से करोड़ों की ठगी कर रहे हैं. ऐसी चुनौती जिससे निपटने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर क्राइम टीम हलकान है.
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यूपी पुलिस के लिए बनी चुनौती
यूपी एसटीएफ से लेकर डीजीपी ऑफिस की साइबर क्राइम यूनिट सभी डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं की चुनौती से जूझ रहे है. सबसे बड़ी चुनौती साइबर अपराधी इसमें पढ़े-लिखे लोगों को शिकार बनाते हैं और उनके खाते से लाख, 2 लाख, 10 लाख नहीं करोड़ों की रकम सीबीआई ईडी मुंबई क्राइम ब्रांच तो कभी कोर्ट के नाम पर हड़प रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बीते अगस्त महीने में एसजीपीजीआई की महिला एसोसिएट प्रोफेसर के साथ हुआ. जिसको बदमाशों ने 7 दिन का डिजिटल अरेस्ट रखा और उनके खाते से 2 करोड़ 81 लख रुपए निकलवा कर अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लिया. क्या है यह डिजिटल अरेस्ट? कैसे एसजीपीजीआई की महिला डॉक्टर की स्काइप के जरिए कोर्ट में पेशी करवाई गई और फिर डिजिटल अरेस्ट का आदेश देकर उसके खातों से करोड़ों रुपए हड़प लिए गए? आइए जानते हैं इसके बारे में.
डॉक्टर को लगा था दो करोड़ का चूना
देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान लखनऊ के एसीपीजीआई में डॉक्टर रुचिका टंडन न्यूरोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. बीते अगस्त महीने में रुचिका टंडन डिजिटल अरेस्ट के नाम पर करोड़ों की ठगी का शिकार हो गई. जालसाजो ने उनकी तीन पीढियो से जमा पूंजी एफडी समेत 2 करोड़ 81 लाख रु अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए. अब तक रुचिका टंडन के साथ हुई घटना में एसटीएफ और साइबर क्राइम की टीम 18 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है और गिरफ्तार हुए आरोपियों के खातों में जमा की गई लगभग 40 लाख की रकम को सीज किया जा चुका है.
डिजिटल अरेस्ट से कैसे हुई ठगी
डॉक्टर रुचिका टंडन की माने तो बीते अगस्त महीने में उनके पास एक नंबर से कई बार कॉल आ रहा था. दो-तीन दिन से आ रही इस कॉल को जब रुचिका टंडन ने अटेंड किया तो बताया गया कि वह मुंबई क्राइम ब्रांच से बोल रहा है. उनके मोबाइल नंबर से मुंबई में एक बैंक खाता खोला गया है. जिसमें जमा रकम का देश विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हुआ है और उनके खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में केस चल रहा है वारंट जारी किया जा चुका है. उनको मुंबई हाई कोर्ट में पेशी के लिए आना है, इतना सुनते ही डॉक्टर रुचिका हड़बड़ा गई. जब तक वह कुछ समझ पाती उनके पास सीबीआई का एक फर्जी लेटर भी भेज दिया गया. एक दूसरे नंबर से कॉल आई जिसने कहा कि आपको डिजिटली कोर्ट में पेश होना होगा. जिसके लिए साइबर अपराधियों ने उनको बाकायदा स्काइप से जोड़ा गया.
डॉक्टर ने बताई पूरी कहानी
स्काइप पर पूरी तरह से माहौल कोर्ट का था. दूसरी तरफ जज थे, कोर्ट रूम था और कोर्ट रूम से ऑर्डर ऑर्डर की आवाज़ भी आ रही थी. मोबाइल फोन पर हुई सुनवाई के बाद रुचिका को 7 दिन के डिजिटल अरेस्ट का ऑर्डर भेज दिया गया और कहा गया कि इस दौरान वह किसी से बात नहीं करेंगी. उनके खाते में जमा सारी रकम एक बैंक खाते में जमा कर्रवाई की जाएगी. अगर उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो पुलिस चारों तरफ से उनपर पर नजर रखे हैं. उनको गिरफ्तार कर मुंबई ले जाया जाएगा और जहां से फिर जेल भेज दिया जाएगा. कोर्ट जेल मुंबई क्राइम ब्रांच सुप्रीम कोर्ट सीबीआई यह सब सुनते ही रुचिका टंडन इतना डर गईं. दो दिन के अंदर ही रुचिका ने अपनी तीन पीढियां के जमा की गई 2 करोड़ 81 लाख की रकम जालसाजों के बताए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए. हालात इतने खराब हो गए की पूरी रकम जमा होने के बाद उनके पास बच्चे की कॉपी, किताब, सब्जी या पेट्रोल डलवाने के तक पैसे नहीं बचे थे.
इस मामले की लखनऊ साइबर थाने में एफआईआर दर्ज हुई. इस मामले की जांच में एसटीएफ को भी लगाया गया. यूपी एसटीएफ और साइबर क्राइम थाने की टीम अब तक कुल 18 लोगों को जिसमें एक महिला भी शामिल है, उनको गिरफ्तार किया गया. एसटीएफ का कहना है कि, यह लोग डिजिटल अरेस्ट कर हड़पी गई रकम को पहले अपने विश्वास्त लोगों के 15 से 20 खातों में ट्रांसफर करवाते और वहां से यह रकम कई अन्य फर्जी बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते.
पुलिस ने दिए ये टिप्स
अब तक की जांच में पता चला है कि यह लोग एक एप के जरिए रकम को डिजीटल करेंसी, USDT में बदलकर फिर नए खातों में ट्रान्सफर कर लेते थे. स्केच की जांच से जुड़े एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह का कहना है कि, 'चेन इतनी लंबी है की पूरी रकम को बरामद करने की कोशिश की जा रही है लेकिन अब तक 30 लाख रुपए ही बैंक में सीज किए गए हैं. सैकड़ो खातों में पैसा भेजा जा चुका है. ऐसे अपराध से निपटने का बस एक ही रास्ता है, उत्तर प्रदेश में पुलिस को घटना की तुरंत सूचना देना. डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है, अगर कोई ऐसी फेक कॉल कर धमकाता है तो सिर्फ पुलिस की 112 को डायल कर अपने नजदीकी थाने पर जाकर शिकायत दर्ज करा दें. ऐसे किसी कॉल से किसी को पैसा देने की जरूरत नहीं है.
फिलहाल यूपी एसटीएफ की टीम अभी भी इस केस में आरोपियों की गिरफ्तारी करने में लगी है. गिरफ्तार किए गए आरोपियों के पास से जमा रकम को कोर्ट के आदेश पर महिला डॉक्टर को वापस करने की कार्रवाई चल रही है.
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