अब दिल्ली की राजनीति पर अखिलेश की नजर, यूपी में शानदार प्रदर्शन के बाद सपा ने बनाया ये प्लान

कुमार अभिषेक

11 Jun 2024 (अपडेटेड: 11 Jun 2024, 06:54 PM)

Uttar Pradesh News : सपा के यकीन हो गया है कि इस बार यूपी में लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को पीछे छोड़ने के बाद 2027 में होने वाले विधानसभा के चुनाव में भाजपा को बाहर का रास्ता दिखा सकती है.

akhilesh yadav

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उत्तर प्रदेश में आए लोकसभा के चुनावी नतीजों ने सूबें में एक नई सियासी उम्मीद को जन्म दिया है. यूपी में इन नतीजों की बात करें तो इस बार 80 में से 36 सीटें ही बीजेपी और उसका गठबंधन जीत पाया है. वहीं जबकि बीजेपी के खिलाफ सपा-कांग्रेस गठबंधन ने 43 सीटें जीती जबकि चंद्रशेखर आजाद ने नगीना की एक सीट अपने नाम किया. इन आंकड़ों को आने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो सपा को यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 225 सीटों को मिला है. वहीं जबकि भाजपा को 175 के आसपास है. (हालांकि ये आंकड़ा अनुमानित है) 

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विधानसभा में विपक्ष का नेता कौन

बात करें समाजवादी पार्टी की तो अब सपा के यकीन हो गया है कि इस बार यूपी में लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को पीछे छोड़ने के बाद 2027 में होने वाले विधानसभा के चुनाव में भाजपा को बाहर का रास्ता दिखा सकती है. ऐसे में समाजवादी पार्टी ने 2027 के चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी विधानसभा सीट से इस्तीफा देंगे. वहीं संसद में समाजवादी पार्टी संसदीय दल के नेता और सदन में पार्टी के नेता होंगे. जबकि वहीं दूसरी ओर यूपी में विपक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी नए चेहरे को आगे करेगी. वहीं माना ये जा रहा है कि जिस तरीके से टिकट देने में साथ ही समाजिक समीकरम बैठाने में अखिलेश यादव ने अपने वोट बैंक को अलग रखा. ठीक वैसे ही नेता विपक्ष का चुनाव होगा जिसमें अपने परिवार के सदस्यों की जगह नेता विपक्ष को पद किसी दलित, मुस्लिम या किसी अगड़े को दे सकते हैं.

यूपी में नेता विपक्ष को लिए जो नाम सामने आ रहे है उनमें शिवपाल यादव, इंद्रजीत सरोज और ओम प्रकाश सिंह का नाम चर्चा में हैं. लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि  जिस तरीके से दलित और पिछड़ें समाज के मतदाताओं ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया है कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव इस बार किसी दलित चेहरे को विधानसभा में नेता विपक्ष के रूप में सामने ला सकते हैं.

अखिलेश यादव चले दिल्ली

अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से इस्तीफा देकर सदन में पार्टी के नेता होंगे. वहीं करहल सीट पर परिवार के किसी दूसरे सदस्य अखिलेश यादव के भतीजे और लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को करहल सीट पर उपचुनाव लड़ा सकते हैं. बता दें कि अखिलेश यादव तेज प्रताप यादव को पहले रामपुर और फिर कन्नौज सीट से लड़ाना चाहते थे. लेकिन आखिरी वक्त में दोनों जगह से टिकट नहीं दे पाए. ऐसे में अब अपनी छोड़ी हुई करहल सीट अखिलेश तेज प्रताप यादव को दे सकते हैं.

यूपी के साथ देश की राजनीति पर नजर

वहीं पार्टी के लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव की तरह संसद में समाजवादी पार्टी की ओर से बड़ी और मुखर आवाज़ बनें. और जब अखिलेश यादव खुद संसद में रहकर मुखर तौर पर सरकार के खिलाफ मुद्दे को उठाएंगे तो उनका चेहरा न सिर्फ देश में बड़ा होगा बल्कि उत्तर प्रदेश में भी कमाल हो सकता है. अब जबकि समाजवादी पार्टी देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है तो अखिलेश यादव देश के स्तर पर भी एक बड़े चेहरे के तौर पर सामने होंगे. समाजवादी पार्टी का मानना है कि अखिलेश यादव चाहे विधानसभा में नेता विपक्ष हो या फिर संसद में पार्टी के सदन के नेता हो 2027 में बीजेपी के मुकाबले उत्तर प्रदेश में वही चेहरा होंगे. ऐसे में संसद में रहते हुए अगर वह उत्तर प्रदेश में 2027 का चुनाव लड़ेंगे तो देश में एक बड़ा संदेश जाएगा.

2027 में भी रहेगी ये जोड़ी!

अखिलेश यादव करहल छोड़कर अब कन्नौज के सांसद होंगे. सदन में विपक्ष की बड़ी आवाज होंगे साथ ही अपनी पार्टी के नेता होंगे और 2027 के लिए मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होंगे. कांग्रेस और सपा के दो लड़कों या दो युवाओं की जोड़ी 2027 में भी दिखाई देगी. यह बात अखिलेश यादव और राहुल गांधी दोनों कह चुके हैं. ऐसे में 2027 में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होने वाल है.जिसमें कांग्रेस और सपा का गठबंधन भाजपा गठबंधन के सामने बड़े चुनौती के तौर पर देखा जाएगा.

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