अखिलेश को मिल ही गया BSP का दलित वोट! योगेंद्र यादव के इस प्रिडिक्शन से सपा खेमा हो जाएगा खुश

यूपी तक

30 May 2024 (अपडेटेड: 30 May 2024, 05:29 PM)

UP Lok Sabha Chunav: राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच ही है और बसपा चीफ मायावती रेस से बाहर हैं. अब सवाल ये है कि क्या मायावती के दलित वोटर में भाजपा और सपा सेंधमारी कर पाए हैं? इसी को लेकर अब योगेंद्र यादव ने अहम जानकारी दी है.

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UP News: लोकसभा चुनाव अब अपने आखिरी दौर में हैं. 1 जून के दिन सातवें चरण के मतदान के बाद 4 जून के दिन लोकसभा चुनाव-2024 का परिणाम भी सामने आ जाएगा. इस दौरान उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भी सभी की नजर बनी रहेगी. दरअसल इस बार उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस यानी विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन ने भाजपा को टक्कर देने का मजबूत दावा किया है. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर गठबंधन और भाजपा की बीच ही सियासी लड़ाई मानी जा रही है. अब ऐसे में सवाल ये है कि अगर बहुजन समाज पार्टी इस रेस में कही नहीं है तो उसके वोटर ने इस बार वोटिंग में क्या सियासी रुख अपनाया है?

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बता दें कि इस बार लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने एकला चलो की राह पकड़ी थी. इस बार बसपा ने किसी के साथ भी गठबंधन नहीं किया था. राजनीति जानकारों और चुनावी रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार बसपा चुनावों में कही नहीं दिखी. माना जा रहा है कि यूपी में मुख्य मुकाबला गठबंधन और भाजपा के ही बीच है. ऐसे में सवाल उठ खड़ा हुआ है कि बसपा का वोटर इस बार चुनावों में कहां गया है? क्या भाजपा और सपा ने बसपा के कोर वोटर्स में अच्छी सेंधमारी कर दी है?

अब इसी सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने बड़ी बात कही है. योगेंद्र यादव ने बता दिया है कि इस बार मायावती के दलित वोटर ने क्या किया है?

बसपा का दलित वोटर किसे गया?

मायावती का दलित वोटर हमेशा से बसपा के साथ खड़ा रहा. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जब बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी, तब भी दलित वोटर बसपा के साथ बना रहा. यहां तक की साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जब बसपा को 19 सीट मिली, तब भी बसपा का दलित वोटर उसके साथ ही रह. यहां तक की साल 2019 में भी जब सपा से गठबंधन करके मायावती ने 10 सीट हासिल की, तब भी मायावती का वोटर बसपा के साथ ही रहा. मगर अब हालात काफी बदल चुके हैं. पिछले 5 सालों में सपा-कांग्रेस ने  मायावती के दलित वोटर में सेंधमारी करने की काफी कोशिश की है. दूसरी तरफ भाजपा तो पिछले 10 सालों से दलित वोटर्स को अपने पाले में करने की रणनीति पर काम कर ही रही है. अब सवाल ये है कि इस बार दलित वोटर्स ने क्या रुख अपनाया है.

बसपा से अलग हो सपा-BJP को मिला है मायावती का दलित वोट?

इस मुद्दे पर योगेंद्र यादव का कहना है कि बसपा का वोटर इस बार काफी असमंजस में था. वह वोट तो बसपा को ही देना चाह रहा था. मगर वह खुलेआम ये कह नहीं पा रहा था. योगेंद्र यादव ने आगे बताया, मेरा मानना है कि बसपा का अधिकतर वोट उसके साथ ही रहा है. मगर काफी वोट भाजपा की तरफ भी गया है. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि बसपा के वोटर का एक हिस्सा समाजवादी पार्टी की तरफ भी गया है.

योगेंद्र यादव का कहना है कि बसपा का दलित वोटर सपा को भी मिला है. ये बड़ी बात है कि इस बार दलितों ने सपा को भी वोट दिया है. दलितों को या तो लगा होगा कि इस बार संविधान की बात है या हो सकता है कि इस बार अखिलेश यादव, राहुल गांधी के साथ थे. ऐसे में राहुल के साथ अखिलेश को देखकर दलित वोटर्स सपा को वोट देने के लिए तैयार हो गए. योगेंद्र यादव ने इस दौरान ये भी साफ कहा कि इस बार चुनाव में भाजपा का दलित वोटर भी खिसक है. 

दलित वोट पहली बार सपा को भी मिला

योगेंद्र यादव का कहना है कि सपा को कांग्रेस के साथ आने का लाभ मिला है. पहली बार ये संभव हो रहा है कि मायावती का दलित वोट थोड़ा ही सही मगर सपा की तरफ भी गया है. ये सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस के साथ आने के कारण हो रहा है. नीचे देखिए योगेंद्र यादव का प्रिडिक्शन

 

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