Kanpur News: पुलिस कस्टडी में बर्बरता के शिकार हुए व्यापारी बलवंत सिंह मौत के मामले में पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी का सिलसिला लगातार जारी है. वहीं सोमवार को बलवंत की मौत के हत्या के आरोप में फरार शिवली कोतवाल राजेश कुमार सिंह गिरफ्तार कर लिया गया है. कोतवाल राजेश कुमार सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है. बता दें कि पुलिस कस्टडी में बलवंत की मौत के मामले में अब तक 5 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है.
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वहीं सोमवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सोमवार को कानपुर देहात पहुंचे, जहां उन्होंने बलवंत सिंह की पत्नी और परिवार से मुलाकात की. परिजनों से मुलाकात करने के बाद अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार को 1 करोड़ की आर्थिक सहायता, मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी के साथ मामले की सीबीआई जांच की भी मांग की है.
बता दें कि व्यापारी बलवंत की पुलिस कस्टडी में 13 दिसंबर को मौत हो गई थी. पति के मौत के मामले में कार्रवाई से असंतुष्ट बलवंत की पत्नी शालिनी ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश को रविवार को पत्र लिखकर घर बुलाया था. पत्र में उन्होंने मदद की गुहार लगाते हुए कहा था कि मैं आपकी छोटी बहन हूं. आपको मेरी मदद करने मेरे घर आना होगा. मेरे पति को पुलिस हिरासत में मार दिया गया. बता दें कि 6 दिसंबर की रात में मृतक बलवंत सिंह के चाचा चंद्रभान सिंह के साथ बाइक सवार तीन बदमाशों ने आंखों में मिर्ची पाउडर डालकर तमंचे के बल पर उनसे रुपए लूट की थी.
चंद्रभान ने लूट का मुकदमा शिवली थाने में दर्ज कराया था. पुलिस उसकी जांच कर रही थी. जांच में पुलिस ने बलवंत को उठाया. पुलिस की तरफ से बताया गया था कि बलवंत जब खुद चलकर थाने आया तो उसके सीने में दर्द होने लगा, इसके बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.
बलवंत के परिवार वालों का आरोप था कि पुलिस की बर्बता के कारण उनकी मौत हो गई थी. वहीं शव का पोस्टमार्टम हुआ तो परिजनों का आरोप सच साबित हुआ. मृतक बलवंत सिंह के शरीर पर सिर से लेकर पैर तक 22 से ज्यादा चोट के निशान पाए गए हैं. उसके शरीर का ऐसा कोई अंग नहीं था, जहां पर चोट के निशान नहीं है. मृतक के दोनों हाथों की कलाइयों पर निशान, पैर के तलवों से लेकर घुटनों तक, कमर के नीचे और पीठ पर लाठियों के निशान मिले. मौत के बाद विवाद बढ़ने पर पुलिस अधीक्षक सुनीति के निर्देश पर आरोपी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था. वहीं पुलिस अधीक्षक ने जांच के लिए एसआईटी भी गठित कर दी थी.
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