Uttar Pradesh News : सोमवार को पूरे देश के कई भागों में नागपंचमी (Nag Panchmi 2023) का पर्व मनाया जा रहा है. नागपंचमी नागदेवता को समर्पित पर्व है. कहा जाता है कि सावन शुक्ल पंचमी तिथि को नागों की पूजा करने और दूध, धान का लावा अर्पित करने का विधान है. वहीं नागपंचमी के दिन उत्तर प्रदेश के कानपुर एक अलग ही नजारा देखने को मिला. कानपुर में खेरेश्वर मंदिर में दूर-दूर से सपेरे अपने संपों के साथ पहुंचे, उनका श्रृगांर किया और मंदिर आने वालों भक्तों ने सांपों को दूध पिलाया.
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कानपुर में है नागों के देवता का मंदिर
नागपंचमी पर कानपुर में नागों के देवता बाबा खेरेपति के नाम पर ही मंदिर बना है. आज के दिन इस मंदिर में नागों का श्रृंगार किया जाता है. इस दिन देश के कोने कोने से सपेरे जहा अपने अपने नागो को लेकर यहां आते हैं. वहीं सुबह-सुबह लोग इस मंदिर में आकर नागों को दूध पिलाते हैं. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उनके जीवन में आए हुए संकटों का निवारण होता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि नागपंचमी पर हमारे धर्म ग्रंथों में भी नागों की पूजा का विधान है. भगवान विष्णु शेषनाग की शैया पर शयन करते हैं. भगवान शिव नाग को अपने गले में धारण करते हैं.
हिंदू धर्म ग्रंथों में भी सांप का विशेष उल्लेख मिलता है. भगवान शिव सांप को अपने गले में धारण करते हैं. ‘नाग पंचमी’ के दिन नाग देवता की पूजा होती है.नागपंचमी के दिन सांप को दूध पिलाना आस्था का प्रतीक माना गया है. मगर क्या आप जानते हैं कि सांप दूध पीते ही नहीं!
सांप पीता है दूध!
भारतीय वन सेवा की आधिकारी सुधा रमन के अनुसार किसी भी अन्य जानवर की तरह, वे खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए पानी पीते हैं. जब सांपों को कई दिनों तक भूखा रखा जाता है और उन्हें दूध दिया जाता है, तो वे उन्हें हाइड्रेटेड रखने के लिए दूध पी लेते हैं. ये ठंडे खून वाले सरीसृप हैं. उन्हें दूध पीने के लिए मजबूर करने से कभी-कभी उनकी मौत भी हो सकती है.
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