Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बिजली कटना आम बात हो गई है. लेकिन अगर बिजली कटौती से किसी की जान पर बात आ जाए, तो यह काफी हैरत कर देने वाला होता है. ऐसा ही मामला लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर के विवेकखंड से सामने आया है. यहां एडवोकेट माधवेंद्र मिश्रा की वृद्ध मां ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर के जरिए सांस ले रही थीं. क्योंकि अधिवक्ता माधवेंद्र ने अपने घर में ही मां की देख भाल करने के लिए ऑक्सीजन से लेकर पेसमेकर तक लगा रखा था. साथ ही मेदांता अस्पताल से एक केयर टेकर को भी हायर किया था. मगर बीती 26 जून को बिजली विभाग ने अधिवक्ता के घर की बिजली कनेक्शन काट दिया, जिससे उनकी मां की जान पर बन आई. क्योंकि सारे हेल्थ उपकरण बिजली से ही चलते थे.
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लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ता माधवेंद्र मिश्रा ने आरोप लगाते हुए बताया कि बिजली विभाग ने मनमाने तरीके से उनके घर का बिजली कनेक्शन काट दिया, जबकि उन्होंने बिजली का भुगतान भी कर रखा है.
जब लाइट कटी तो अधिवक्ता नहीं थे घर पर
यूपी तक से बातचीत में अधिवक्ता ने बताया कि 26 जून को उनके घर की लाइट काटी गई थी. उस वक्त वह हाई कोर्ट में थे. जब उनके बड़े भाई शिव मंदिर से आए और बिजली विभाग के कर्मचारियों से पूछा कि लाइट क्यों काटी गई तो बिजली विभाग के कर्मचारियों ने सही उत्तर नहीं दिया. वह गोल मोल बातें करने लगे. इसके बाद बाद जब माधवेंद्र कोर्ट से घर आए तो वह बिजली का बिल और सारे दस्तावेज लेकर गोमती नगर बिजली उपकेंद्र पहुंचे.
लाइनमैन ने ‘नशे’ में कही ये बात
आरोप है कि वहां नशे में धुत बिजली विभाग के लाइनमैन ने उसने कहा कि एक से देढ़ लाख रुपए बिजली का बकाया है, इसीलिए बिजली काटी गई. माधवेंद्र मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि लाइनमैन पैसा हड़पने के चक्कर में था, लेकिन उन्होंने बिजली विभाग के अधिकारियों से कहा कि बीती 9 जून को उन्होंने 4500 सौ रुपए जमा किए हैं और फिर बिजली अधिकारियों ने जब अपने कंप्यूटर सिस्टम में चेक किया तो बिल 4500 का ही बना था. माधवेंद्र ने बताया कि जब बिजली नहीं वापस आई तो उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई. थाने में एप्लीकेशन दी गई और जब दबाव बना तब जाकर बिजली कर्मियों ने लाइट जोड़ी और कार्रवाई करते हुए एसडीओ का ट्रांसफर किया.
अधिवक्ता ने आगे बताया कि उनकी मां पिछले कई महीनों से बीमार चल रही हैं. उनका इलाज मेदांता में चल रहा है. लेकिन इस समय घर पर ही इलाज किया जा रहा है. उनको ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है. साथ ही उनको पेसमेकर भी लगा है. ये सारी चीजें बिजली से ही चलती हैं. ऐसे में जब बिजली कट गई तो मां की तबीयत खराब हो गई और उनकी जान पर बन आई.
माधवेंद्र पर है ये आरोप
वहीं जब यूपी तक ने माधवेंद्र से सवाल पूछा कि बिजली विभाग का कहना है कि अधिवक्ता के घर वाले मीटर चेक नहीं करवाते हैं, तो उस पर अधिवक्ता ने कहा कि उनके यहां पिछले 3 सालों से कोई भी मीटर चेक करने नहीं आया और जो बिजली विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि वह मीटर चेक करने आते हैं और उन्हें चेक नहीं करने दिया जाता तो यह सरासर झूठ है. हालांकि, अधिवक्ता ने बिजली विभाग के ऊपर डेढ़ करोड़ रुपये का मानहानि का दावा भी ठोका है. साथ ही कोर्ट में रिट भी फाइल की है.
वहीं, यूपी तक ने बिजली विभाग का भी पक्ष जाना, जिसमें गोमती नगर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुबोध झा ने बताया कि पिछले कई सालों से अधिवक्ता ने कभी भी अपना बिजली मीटर चेक नहीं करवाया. जब भी अधिवक्ता के घर बिजली कर्मी जाते थे मीटर चेक करने तो उन्हें जांच नहीं करने दी जाती थी. इतना ही नहीं उपभोक्ता अपनी इच्छा अनुसार से मीटर रीडिंग बनाते थे और उसी हिसाब से बिल जमा करते थे. इसी कारण जब बिल और मीटर रीडिंग में अनियमितता प्रतीत होने लगीं, तब कार्रवाई की गई. कार्रवाई के बाद जब गड़बड़ियों को ठीक करके और बिजली बिल सही करके लाईट को जोड़ दिया गया.
बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता ने यह भी बताया कि एसडीओ हिमांशु शेखर का ट्रांसफर इस प्रकरण में नहीं हुआ है. उनके ट्रांसफर का आदेश मई माह में ही आ गया था, जबकि ये मामला जून लास्ट का है.
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