UP में बकरीद में की गई ये गलती पड़ेगी भारी, कुर्बानी से पहले जारी इन निर्देशों को जानिए

आशीष श्रीवास्तव

11 Jun 2024 (अपडेटेड: 11 Jun 2024, 09:48 AM)

Eid-Ul-Adha 2024 in UP: उत्तर प्रदेश में बकरीद को लेकर बड़े पैमाने पर प्रबंध किए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक इस बार बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी. व्यवस्था के तहत इस बार भी सड़कों पर नमाज अता नहीं की जा सकेगी.

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Eid-Ul-Adha 2024 in UP: उत्तर प्रदेश में बकरीद को लेकर बड़े पैमाने पर प्रबंध किए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक इस बार बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी. व्यवस्था के तहत इस बार भी सड़कों पर नमाज अता नहीं की जा सकेगी. इसके अलावा चिन्हित किए गए स्थानों पर ही कुर्बानी दी जा सकेगी. सख्त हिदायत जारी की गई है कि प्रतिबंध जानवरों की कुर्बानी न होने पाए. इसके लिए अल्पसंख्यक आयोग ने निर्देश जारी कर दिए हैं. 

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पशुओं की कुर्बानी केवल निर्धारित स्थलों पर होगी. इसके लिए गृह विभाग और नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र लिखा हैय. यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफ़ी के मुताबिक इस बार होने वाली नमाज के लिए सड़कों पर किसी प्रकार की कोई जगह नहीं होगी. मस्जिदों में अलग-अलग शिफ्ट में नमाज की जाएगी. 

इसके साथ ही प्रशासन को इस बारे में अवगत करा दिया गया है कि किसी प्रकार की दिक्कत ना हो किसी के साथ. 

क्यों मनाई जाती है बकरीद?

बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है. यह हजरत इब्राहिम (अब्राहिम) की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने का आदेश दिया. हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल से सबसे ज्यादा प्यार करते थे, इसलिए उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया. जैसे ही वे अपने बेटे की गर्दन पर चाकू चलाने वाले थे, अल्लाह ने उन्हें रोक दिया और एक बकरे की कुर्बानी स्वीकार कर ली. 

इसके बाद से ही कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई मानी जाती है. बकरीद त्याग, समर्पण और भक्ति का प्रतीक है. यह दिन हमें सिखाता है कि हमें अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्रिय चीज भी कुर्बान करने के लिए तैयार रहना चाहिए. कुर्बानी का मांस तीन भागों में बांटा जाता है। एक हिस्सा खुद के लिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों के लिए और तीसरा हिस्सा गरीबों के लिए.

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