Agra Jail Radio News: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से एक सकरात्मक खबर सामने आई है. आपको बता दें कि भारत की सबसे पुरानी जेलों में से एक आगरा जेल ने जेल रेडियो के पांच साल पूरे कर लिए हैं. आगरा में जेल रेडियो 31 जुलाई 2019 को शुरू किया गया था. आज ही के दिन पांच साल पहले तत्कालीन आगरा एसएसपी बब्लू कुमार, जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा और तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वार्तिका नन्दा ने जेल रेडियो का उद्घाटन किया था. कोविड काल के दौरान जेल रेडियो की वजह से कैदियों को विशेष रूप से बड़ी मदद मिली थी.
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मीडिया शिक्षक और जेल सुधारक डॉ. वार्तिका नन्दा द्वारा परिकल्पित और प्रशिक्षित यह रेडियो जल्द ही कैदियों की जीवनरेखा बन गया. कैदियों द्वारा, कैदियों के लिए चलाया जाने वाला जेल रेडियो भारत में एक नई अवधारणा है. कोविड-19 महामारी के दौरान रेडियो जल्द ही प्रेरणा और समर्थन का स्रोत बन गया. मुलाकातों की अनुपस्थिति में, इस रेडियो ने अवसाद की स्थिति से निपटने में कैदियों की मदद की.
कौन थे जेल रेडियो के जॉकी?
रेडियो के लॉन्च के समय, महिला कैदी तुहिना (आईआईएम बैंगलोर से स्नातक) और पुरुष कैदी उदय (परास्नातक) को जॉकी बनाया गया था. बाद में, एक और कैदी, रजत दोनों के साथ जुड़ा. तुहिना उत्तर प्रदेश की जेलों में पहली महिला रेडियो जॉकी बनी. रेडियो के लिए स्क्रिप्ट्स खुद कैदियों द्वारा तैयार की जाती हैं. जिला जेल आगरा में जेल रेडियो हर दिन दो घंटे चलता है. समय बढ़ाने और नए कैदियों के एक सेट को रेडियो जॉकी के रूप में तैयार करने का निर्णय लिया गया है.
जेल सुपरिटेंडेट हरिओम शर्मा ने बताया, "वर्तमान में जेल हर दिन लगभग दो घंटे चलती है. हम समय बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. हम अगले दौर के चयन से इस कार्य के लिए कैदियों की संख्या बढ़ाने की भी योजना बना रहे हैं."
वर्तिका नन्दा ने कहा, "इस जेल रेडियो की सफलता ने हमें हरियाणा की जेलों और जिला जेल, देहरादून उत्तराखंड में जेल रेडियो को स्थापित करने के लिए प्रेरित किया. ये रेडियो तिनका मॉडल ऑफ प्रिजन रेडियो पर आधारित हैं और ये भारतीय जेलों के एकमात्र व्यवस्थित जेल रेडियो हैं. यह गर्व की बात है कि उत्तर प्रदेश की जेलों पर किए गए शोद में यह जिला जेल, आगरा प्रमुख रही. इसे 2019-20 की अवधि के दौरान किया गया था और ICSSR द्वारा इस काम को उत्कृष्ट माना गया. हम इस शोध के निष्कर्षों को जल्द ही सार्वजनिक करेंगे."
आगरा जेल का इतिहास?
यह जेल भवन 12वें मुगल सम्राट मोहम्मद शाह गाजी के शासनकाल के दौरान 1741 ईस्वी (हिजरी 1154) में मीर वजीर-उद-दीन खान मुख्ताब और मीर जलाल-उद-दीन द्वारा हज जाने वाले तीर्थयात्रियों के विश्राम के लिए बनाया गया था. समय के साथ इस परिसर का उपयोग जेल के रूप में किया जाने लगा. स्थापना के समय जिला जेल, आगरा की क्षमता 706 कैदियों को रखने की थी जिसे बाद में बढ़ाकर 1015 कर दिया गया.
कौन हैं वर्तिका नन्दा?
वर्तिका नंदा के "भारतीय जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति और उनके संचार की जरूरतों का अध्ययन, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के संदर्भ में" पर हालिया शोध को ICSSR द्वारा उत्कृष्ट के रूप में मूल्यांकित किया गया है. उन्होंने हरियाणा की जेलों और जिला जेल, देहरादून में जेल रेडियो स्थापित किए हैं. वे दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं. तिनका तिनका जेलों में सृजन और बेहतर कामों को प्रोत्साहित करने की उनकी मुहिम है. जेलों पर लिखी उनकी किताबें भारतीय जेलों पर प्रामाणिक दस्तावेज मानी जाती हैं. हाल में उनकी लिखी किताब- तिनका तिनका तिहाड़ ने 12 वर्ष पूरे किए.
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