Ghaziabad News: अगर आप गाजियाबाद या नोएडा में पावर ऑफ अटॉर्नी करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है. गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जिलों में पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है. दरअसल प्रमुख सचिव स्टांप और रजिस्ट्रेशन, वीना कुमारी ने इस संबध में शासनादेश जारी किया है.
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आपको बता दें कि प्रमुख सचिव वीना कुमारी द्वारा शासनादेश के मुताबिक, पुलिस अनुभाग 3, द्वारा जारी एक पत्र , जिसके द्वारा गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में पंजीकृत मुख्तार नामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है. इस संबंध में यह आदेश जारी किए हैं.
जारी आदेश के अनुसार गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर नगर में उत्तर प्रदेश के साथी ही अन्य प्रदेशों के मुख्तारनामों के पंजीकरण के माध्यम से भारी संख्या में जमीन और अन्य संपत्तियों के अवैध अंतरण के मामले सामने आए हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, इसमें मामले में संगठित गिरोह के साथ ही विभागीय उपनिबंधको की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. बीते 4 जनवरी को जारी किए गए इस आदेश में अग्रिम आदेश तक गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में मुख्तारनामों यानी पावर ऑफ अटॉर्नी पर यह रोक लगाई गई है.
इस मामले में गाजियाबाद के एडीएम फाइनेंस विवेक कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, शासनादेश के अनुसार गाजियाबाद में पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन पर अब रोक लगा दी गई है. पावर ऑफ अटॉर्नी के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगने से अब इन के माध्यम से होने वाला संपत्ति हस्तांतरण भी नहीं हो सकेगा. अगले शासनादेश तक यह रोक यूं ही बरकरार रहेगी. एक एसआईटी का गठन भी शासन स्तर पर किया गया है, जोकि पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से जमीनों के अवैध रूप से ट्रांसफर के मामलों की जांच कर रहा है.
बार एसोसिएशन विरोध में उतरा
अब इस शासनादेश को लेकर बार एसोसिएशन भी विरोध में उठ खड़ा हुआ है. बार एसोसिएशन इसके विरोध में उतर आया है. वह इस आदेश को जनता के हितों का उल्लंघन बता रहा है. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के मुताबिक पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से विदेशों में रह रहे लोग भी किसी को अपनी पावर देकर संपत्ति क्रय- विक्रय कर सकते थे, जबकि पैसे का लेनदेन उन्हीं के खातों में होता था. ऐसे में यहां काले धन का कोई लेन-देन का मामला नहीं था, क्योंकि जिसके नाम संपत्ति होती थी पैसे का ट्रांजैक्शन उसी के खाते में किया जाता था.
उन्होंने आगे कहा कि शासन की तरफ से जारी किया गया यह आदेश गलत है. इसके साथ साथ गाजियाबाद में इसके लिए खोला गया काउंटर भी बंद कर दिया गया है, जोकि सीधा-सीधा बार के कामों को प्रभावित करने वाला है, क्योंकि उस काउंटर पर यदि पावर ऑफ अर्टोनी का काम नहीं होता तो अन्य काम किए जा सकते थे.
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