Uttar Pradesh News : ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’…ये पंक्तियां बुलंदशहर के रहने वाले पवन पर सटीक बैठती हैं, जिन्होंने सभी कठिनाइयों को पीछे छोड़ आज एक नया मुकाम हासिल किया है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले पवन कुमार तमाम सुविधाओं की कमी के बावजूद संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2023 पास की है. यूपीएससी एग्जाम क्रैक करके उन्होंने बुलंदशहर जनपद के नाम के साथ-साथ अपने परिवार गांव का नाम रोशन किया है.
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तिरपाल की छत के नीचे रहता है परिवार
बता दें कि बुलंदशहर के रहने वाले पवन का घर कच्चा है, बल्ली के सहारे तिरपाल की छत टंगी है, उसी के नीचे घास काटने की मशीन और पशु भी बंधे हैं. बावजूद इसके आज पूरे प्रदेश में पवन कुमार की कामयाबी का डंका बज रहा है, वह युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं. पवन कुमार के घर में बिजली कनेक्शन तो है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति का आभाव है. घर मे अन्य कोई सुख-सुविधा आधुनिक नहीं है. छत भी तिरपाल और पॉलिथीन की है. आज भी पवन की मां और बहन जंगल से लकड़ी लाकर चूल्हे पर रोटी और सब्जी बना रही हैं. हालांकि उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन घर में है लेकिन परिवार को गैस सिलेंडर भरवाने के लिए पैसे जुटाने में मुश्किल होती है. इसलिए लकड़ियों और उपलों से चूल्हा जलता है.
फोन तक खरीदने के नहीं थे पैसे
यूपी तक से बात करते हुए उनके पिता ने बताया कि पवन को एंड्राइड मोबाइल फोन की जरूरत थी तो सभी ने घर में मजदूरी करके उसके लिए पैसे इकट्ठे करें तब जाकर एक साल पहले 3200 रुपये का सेकेंडहैंड मोबाइल दिलाया था. पिता मुकेश कुमार गांव में एक किसान है, मां सुमन गृहणी हैं. पवन की तीन बहने हैं- सबसे बड़ी बहन गोल्डी बी.ए की परीक्षा के बाद एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती है, दूसरी बहन सृष्टि जो वर्तमान में बी.ए. की परीक्षा दे रही है और सबसे छोटी बहन सोनिया कक्षा 12वीं की पढ़ाई कर रही है.
यहां से की पढ़ाई
पवन के पिता बताते हैं कक्षा एक से कक्षा 8 तक पवन ने अपने ननिहाल रूपवास पचगाई जनपद के गांव से शिक्षा हासिल की, लेकिन वह पढ़ाई के दौरान भी लागातार घर आता रहता था. 9वीं से 12वीं की पढ़ाई जनपद के गांव बुकलाना स्थित नवोदय विद्यालय में एजुकेशन प्राप्त की और उसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जियोग्राफी, पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. अभी पवन की उम्र लगभग 24 वर्ष है.
ऐसे की तैयारी
पवन ने बताया कि, 'यह मेरा तीसरा प्रयास था. मेरी सफलता में मेरे परिवार का बहुत बड़ा योगदान है. परीक्षा कठिन है और पाठ्यक्रम बहुत बड़ा है, लेकिन ये असंभव नहीं है. कोचिंग लेना भी जरूरी नहीं है. मेरे परिवार के हालत ऐसी नहीं थे कि मैं महंगी कोचिंग ले पाऊं. मैंने ज्यादातर सेल्फ स्टडी की थी.'
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