Banda News: साल 1995 में एक शख्स ने अपनी ही तीन सगे भाइयों के खिलाफ मारपीट का केस दर्ज करवाया. इस दौरान पीड़ित और आरोपियों की उम्र 32 से 37 साल के बीच थी. पीड़ित को लगा कि उसे कुछ ही दिनों में इंसाफ मिल जाएगा. मगर हुआ इसके बिल्कुल उलट. पीड़ित को इंसाफ तो मिला, लेकिन उसे ये इंसाफ साल 2023 में जाकर मिला.
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केस दर्ज होने के करीब 28 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने आरोपी भाइयों को दोषी माना है और सभी को 7-7 साल की सजा सुनाई है. इसी के साथ कोर्ट ने सभी के खिलाफ 25-25 हजार का जुर्माना भी लगाया है. इस केस में पीड़ित और आरोपियों की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा इस केस को लड़ते हुए ही गुजर गया. अब जब इस केस का फैसला आया है, तब पीड़ित और आरोपियों की उम्र भी 60 से 65 के बीच हो चुकी है.
तारीख पर तारीख मिलती रही और जज बदलते रहे
इस केस के दौरान ना जाने कितने जज बदले गए, कितने जजों के रिटायरमेंट तक हो गए, पीड़ित और आरोपी पक्ष के भी ना जाने कितने करीबी गुजर गए. मगर अब जाकर आखिरकार कोर्ट का फैसला आ ही गया. दरअसल ये पूरा मामला नरैनी कोतवाली क्षेत्र के कुइया नगर का है.
यहां रहने वाले शख्स ने साल 1995 में थाना में शिकायत दर्ज कराई थी कि जमीनी विवाद में उसके तीन भाइयों ने उसके ऊपर लाठी-डंडो और कुल्हाड़ी से जानलेवा हमला किया. इस हमले में वह काफी घायल हो गया. पुलिस ने पीड़ित की तहरीर के आधार पर तीनों आरोपी भाइयों के खिलाफ धारा- 323, 324, 325, 504 के तहत केस दर्ज कर लिया और मामले की जांच शुरू कर दी.
पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया. फिर जाकर कोर्ट में बहस शुरू हुई. सालों तक दोनों पक्षों की तरफ से बहसे चलती रही और केस लंबा चलता रहा. मगर बीते शुक्रवार शाम कोर्ट ने आखिरकार अपना फैसला सुना दिया और आरोपी भाइयों को दोषी मानते हुए उन्हें सजा सुना दी.
केस में 100 से 150 तारीख और करीब 18 जज बदले गए
सरकारी वकील सुरेंद्र प्रसाद का कहना है कि इस केस में 28 सालों के अंदर करीब 100 से 150 के बीच तारीखे पड़ी तो करीब 18 जज भी बदले गए. इस केस में कई गवाह पेश हुए और सुनवाई चलती रही. साल 1995 में आरोपियों की उम्र 32 से 37 साल थी तो वही अब आरोपियों की उम्र 60 से 65 साल है. अब कोर्ट ने इन्हें सजा सुनाई है.
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