About Mushroom farming: मशरूम की खेती हाल के वर्षों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है. इस खेती का आकर्षण कई कारणों से बढ़ा है. सबसे पहला कारण इसका कम लागत और उच्च मुनाफा है. मशरूम की खेती करने के लिए ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती और इसे छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है. केवल सही वातावरण, तापमान और नमी का ध्यान रखने से अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है. इन्हीं बातों का ध्यान रख वाराणसी की वन्द्या चौरसिया ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. मशरूम की खेती से वन्द्या चौरसिया भी लाखों की कमाई कर रही हैं. आप खबर में वन्द्या के हवाले से जान सकते हैं कि वह मशरुम की खेती कैसे करती हैं और उन्होंने इससे कैसे मुनाफा हासिल किया है.
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कहां से ली वन्द्या ने ट्रेनिंग?
आपको बता दें कि वन्द्या ने दिल्ली के 'Pusa Institute' से मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली है. उन्होंने मशरुम की खेती उस समय शुरू की जब इसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे. वन्द्या ने बताया कि साल 1998 में उन्होंने मशरुम की खेती करना शुरु किया था. सबसे पहले उन्होंने यूपी के जौनपुर में इसकी शुरुआत की फिर 2004 में बनारस आ गईं. वन्द्या के अनुसार, "मशरुम में प्रोटिन और विटामिन D बहुत ज्यादा होता है. जब मैंने शुरू किया तब बहुत कम लोग ही मशरूम खाते थे. लेकिन अब इसकी डिमांड काफी है."
आपको बता दें कि वन्द्या के बेटे सोहम भी उनके साथ जुड़कर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "प्रोडक्शन यूनिट और मार्केटिंग मैं ही देख रहा हूं. मां 25 साल से यह काम कर रही हैं. पहले चार कमरे से शुरू किया. अब धीरे धीरे 12-13 कमरे हो गए हैं."
वन्द्या के सामने क्या-क्या चुनौतियां आईं?
वन्द्या ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए एयर कंडीशन जैसी सुविधा की जरुरत होती है. मगर एक समय बार-बार बिजली जाने की समस्या के कारण उन्होंने इस बिजनेस को बंद करने का मन बनाया था. उन्होंने बताया कि आज उनका यह बिजनेस अच्छा चल रहा है और उन्हें सालाना लाखों में मुनाफा भी हो रहा है. बता दें कि वंद्या के इस जज्बे के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अवॉर्ड भी दिया है.
यूपी सरकार दे रही मशरूम खेती के लिए ये ग्रांट
आपको बता दें कि हॉर्टिकल्चर मिशन के तहत उत्तर प्रदेश सरकार मशरूम खेती के लिए 40 परसेंट तक ग्रांट देती है. अगर आप 20 लाख रुपये तक की मशरूम प्रोडक्शन यूनिट लगाते हैं तो सरकार 2 किस्तों में 8 लाख रुपये ग्रांट के रूप में देती है. ज्यादा जानकारी आप हॉर्टिकल्चर मिशन की वेबसाइट से हासिल कर सकते हैं.
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