13-14 फरवरी 2020 की रात वाराणसी के लंका थाने से गायब BHU बीएससी तृतीय वर्ष के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी के मौत की पुष्टि जैसी ही दो दिनों पहले प्रयागराज हाईकोर्ट में CBCID ने अदालत में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करके की और अदालत में DNA रिपोर्ट भी दाखिल कर दी गई. जिसपर कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 14 जुलाई की तय करते हुए DNA रिपोर्ट को शपथपत्र के साथ CBCID से मांगा है. इस घटना ने वाराणसी के लंका थाने की पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करके रख दिया है.
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इस पूरे मामले में मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के रहने वाले शिव कुमार त्रिवेदी का निशुल्क केस लड़ रहे वकील सौरभ तिवारी की मानें तो पूरी घटना में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है. सौरभ तिवारी ने कोर्ट में सवाल किया कि जब संबंधित लंका थाने जहां शिव कुमार त्रिवेदी को पुलिस अपने साथ ले गई थी वहां CCTV था तो पुलिस ने उसे सब्जेक्ट आफ इन्वेस्टिगेशन क्यों नहीं बनाया? आखिर इस बात को पुलिस ने क्यों छिपाया? शिव कुमार की गुमशुदगी की जब लंका थाने में लिखी गई तो 6 महीने तक उसकी जांच क्यों नहीं इंवेस्टिगेशन आफिसर ने की?
सौरभ तिवारी ने कहा कि कोर्ट को पुलिस गुमराह करती रही कि वह देश के कोने-कोने जाकर शिव का पता लगा रही है, लेकिन बगल के 5 किलोमीटर दूर के रामनगर के थाने का रिकार्ड लंका थाने को नहीं मिल सका, जहां एक तालाब में शिव का शव मिला था, जबकि उस शव का पोस्टमॉर्टम तक हुआ था. तो आखिर क्या छिपाने की कोशिश पुलिस कर रही थी.
वकील सौरभ ने बताया, “शिव के साथ कुछ न कुछ अनहोनी हुई जरूर है. यह पूरा मामला न्यायालय के समक्ष है, इसलिए मैं कुछ इसमें कह नहीं सकता. लेकिन शुरू से लेकर अंत तक पुलिस कुछ न कुछ छिपा रही है. अब जो कोई दोषी है उसके बारे में माननीय उच्च न्यायालय निर्धारित करे.”
मालूम हो कि बीएचयू से बीएससी सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रहे मूल रूप से मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी 13-14 फरवरी की रात 2020 से गायब है. 13-14 फरवरी की रात 112 नंबर की पुलिस की गाड़ी उसे अपने साथ लंका थाने ले तो गई, लेकिन तब से उसका कुछ अता पता नहीं है. इस बारे में शिव के पिता प्रदीप त्रिवेदी ने संबंधित लंका थाने से गायब हो जाने के बाद उसकी गुमशुदगी भी 16 फरवरी को लंका थाने में लिखवा दी गई. लेकिन पुलिस खोजबीन करने के बजाए उनको काफी इधर-उधर दौड़ाती रही. फिर आलाधिकारियों से गुहार लगाने और हाई कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस सक्रिय हुई है.
शिव को 112 नंबर की पुलिस की गाड़ी 13-14 फरवरी को अपने साथ लंका थाने ले गई और इस बात को पुलिस भी मान चुकी है, लेकिन उसके बावजूद दो साल बीत जाने के बाद भी उसका कुछ भी पता नहीं चल सका. शिव के पिता प्रदीप ने भी अपने बेटे के न मिलने तक नंगे पांव ही रहने का संकल्प लिया था. इस मामले में सीएम योगी ने जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी थी.
शिवकुमार लंका थाने से लापता हो गया था. इस मामले में परिवार वालों ने खूब खोजबीन की, लेकिन कुछ पता नहीं चला. वहीं लापता छात्र शिवकुमार की पहचान अब DNA रिपोर्ट के आधार पर उसके गायब होने के दो दिनों बाद ही लंका थाने के बगल के ही रामनगर थाने क्षेत्र के एक तालाब में मिलने वाले लावारिस शव से हो गई. आशंका जताई गई कि शिवकुमार को मारकर उसको तालाब में फेंक दिया गया. यह शव शिव कुमार के गायब होने के बाद ही बगल के रामनगर थाने के एक तालाब से मिला था.
वहीं डीएनए का मिलान भी लापता छात्र के पिता प्रदीप कुमार त्रिवेदी से हो गया है, जो पूरे दो साल तक नंगे पाव अपने बच्चे की तस्वीर तख्ती पर लगाकर BHU और आसपास के इलाकों में खोजते रहे. इस पूरे मामले की जांच आईपीएस सुनीता सिंह की अगुवाई वाली टीम कर रही हैं. याची के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने छात्र की बरामदगी को लेकर पत्र जनहित याचिका दाखिल की थी.
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