महामारी कोरोना के खिलाफ जंग में चौथी लहर एक बार फिर से अपने पांव पसार रही है. ऐसे में BHU के जीन वैज्ञानिकों ने सिरो सर्वे के आधार पर जो रिपोर्ट तैयार की है, वह अच्छी और बुरी दोनों है. बुरी इसलिए क्योंकि सिरो सर्वे में पता चला है कि हाइब्रिड इम्यूनिटी 30% लोगों में खत्म हो चुकी है जो आगे चलकर 70% तक खत्म हो जाएगी. तो वहीं अच्छी खबर यह है कि कोरोना की यह चौथी लहर घातक या मारक नहीं होगी.
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BHU के जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि वह कोरोना महामारी पर दो वर्ष से अध्ययन कर रहें हैं. उन्होंने बताया, “सिरो सर्वे के तहत देखा जाता है कि आबादी के कितने हिस्से में एंटीबाॅडी उपलब्ध है? हर वेब में लगातार एंटीबॉडी टेस्ट की जा रही हैं और इसी के आधार पर आगे के अनुमान को लगाया जा सकता है. हाइब्रिड इम्यूनिटी किसी भी वायरस के किसी भी वेरिएंट को रोकने में सक्षम होती है. यह अब घट रही है. पर्याप्त मात्रा में भले ही एंटीबाॅडी हमारे पास अभी हों, लेकिन एक समय बाद हाइब्रिड इम्यूनिटी जब एकदम से कम हो जाएगी, तो हमें तैयार रहना होगा.”
उन्होंने आगे बताया कि तीसरी वेब के खत्म होने के बाद फिर एक सर्वे किया गया, जिसमें वाराणसी के 116 लोग शामिल थे. सर्वे में उनकी एंटीबाॅडी के लेवल के वैरिएशन का अध्ययन किया गया. इसमें आश्चर्यजनक रूप से पता चला कि 30% लोगों में एंटीबॉडी खत्म हो चुकी हैं.
प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया, “दो चीजें नए वेब के लिए कारण होती हैं. पहला हाई लेवल की एंटीबाॅडी, जिसे हाइब्रिड इम्यूनिटी कहते हैं, वह कितने लोगों में मौजूद है और वायरस कितना हमारी एंटीबॉडी पर प्रभाव डाल सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, “पहली वेब के खत्म होने पर…रिइंफेक्शन सिर्फ 5% लोगों को ही हुआ. तीसरी वेब की वजह से रिइंफेक्शन बढ़ गया, लेकिन 15% के ऊपर नहीं गया. इसका मतलब है कि जो लोग इंफेक्शन का शिकार होकर ठीक हो चुके हैं, उनको डरने की जरूरत नहीं है. मगर जिनको कभी इंफेक्शन नहीं हुआ है और वे वैक्सीनेटेड हैं, उनको बचाव करके रहना है. पहले से बीमार लोगों को खासकर बचकर रहना होगा. चौथी वेब तीसरे वेब से काफी हल्की हो सकती है. छोटी-छोटी वेब अलग-अलग रीजन में आती रहेंगी, लेकिन अब कोई देशव्यापी वेब की संभावना नहीं दिख रही है.”
प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने आगे बताया, “एक बार नेचुरल इंफेक्शन होने या फिर वैक्सीन के दोनों डोज लग जाने के बाद व्यक्ति को आगे किसी वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं है. मगर फ्रंट लाइन वर्कर को वैक्सीन की तीसरी डोज लेनी चाहिए, क्योंकि उनको इंफेक्शन होने पर काफी खतरा रहता है.”
प्रो. चौबे के अनुसार, “पूरी आबादी को वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने की जरूरत नहीं है. चौथी लहर का कुछ ही रीजन में प्रभाव दिख रहा है. ऐसा हो सकता है जहां-जहां लोगों में लो लेवल की एंटीबाॅडी हैं, वहां यह आक्रमण करे, लेकिन फिर सचेत रहना होगा खासकर बीमार ग्रस्त लोगों को.”
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