UP Politics: लोकसभा चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इन उपचुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. इसी बीच बसपा चीफ मायावती ने भी बड़ा कदम उठाया है. बसपा चीफ मायावती ने एक बार फिर से अपने भतीजे आकाश आनंद का सियासी कद बढ़ा दिया है और फिर से उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है. इसी के साथ मायावती ने आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाकर यूपी समेत पूरे देश की जिम्मेदारी भी सौंप दी है. बता दें कि इससे पहले आकाश आनंद के पास यूपी की जिम्मेदारी नहीं थी. मगर दूसरे राज्यों की जिम्मेदारी उन्हें सौंप रखी थी.
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ये फैसला बसपा चीफ ने उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से ठीक पहले लिया है. इसी के साथ ऐलान किया गया है कि बहुजन समाज पार्टी इस बार सभी 9 सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी. बता दें कि बसपा उपचुनाव में अक्सर नहीं दिखती है. मगर इस बार बसपा यूपी में होने वाली सभी 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में खड़ी होगी और अपने उम्मीदवार उतारेगी..
बीएसपी के उपचुनाव लड़ने से गर्मा गई यूपी की सियासत
दरअसल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इन उपचुनावों को लेकर काफी उम्मीद लगाए बैठी हैं. जिस तरह का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस ने यूपी में किया है, उससे सपा-कांग्रेस के कार्यकर्ता भी काफी उत्साहित हैं. दूसरी तरफ भाजपा भी इन उपचुनावों को लेकर काफी गंभीर है. भाजपा भी अपनी पूरी ताकत इन उपचुनावों में लगाने जा रही है. अभी तक सियासी मैदान में भाजपा और सपा-कांग्रेस ही थे. मगर अब बसपा चीफ मायावती ने भी इन उपचुनावों में एंट्री मार ली है.
बसपा के उपचुनावों में उतरने से दूसरे राजनीतिक दलों का समीकरण बिगड़ गया है. अब देखने ये होगा कि बसपा का उपचुनाव में खड़ा होना, किस पार्टी को कितना नुकसान और फायदा देगा? देखना ये भी होगा कि उपचुनावों में बसपा किस तरह का प्रदर्शन करती है.
इन सीटों पर होने हैं उपचुनाव
इस बार उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें करहल, मीरापुर, खैर, गाजियाबाद, कटेहरी, फूलपुर, मझवा, कुंदरकी और मिल्कीपुर विधानसभा सीट शामिल हैं. इनमें से 4 विधानसभा सीटें सपा कोटे की खाली हुई हैं तो वहीं 3 सीटें बीजेपी की कोटे की खाली है. इसके इत्तर एक सीट आरएलडी और एक सीट निषाद पार्टी की है. यह उपचुनाव एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए काफी अहमियत रखता है. मगर अब बसपा ने भी इसमें एंट्री ले ली है. ऐसे में उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गए हैं.
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