UP News: उत्तर प्रदेश विधानसभा से बुधवार को पारित किया गया उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबन्ध और उपयोग) विधेयक को विधान परिषद की मंजूरी नहीं मिली और सत्ता पक्ष के 'प्रस्ताव पर ही इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया. अब इस मुद्दे पर अपना दल (एस) की मुखिया और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल का बयान सामने आया है. आपको बता दें अनुप्रिया पटेल ने साफ शब्दों में अपनी बात कहते हुए कहा कि व्यापक विमर्श के बिना लाया गया नजूल भूमि संबंधी विधेयक न सिर्फ गैर जरूरी है, बल्कि आम जन मानस की भावनाओं के खिलाफ भी है.
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अनुप्रिया ने गुरुवार को X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विमर्श के लिए विधान परिषद की प्रवर समिति को आज भेज दिया गया है. व्यापक विमर्श के बिना लाये गये नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा स्पष्ट मानना है कि यह विधेयक न सिर्फ गैरजरूरी है बल्कि आम जन मानस की भावनाओं के विपरीत भी है."
विधान परिषद में क्या हुआ था?
आपको बता दें कि विधान परिषद में गुरुवार को भोजनावकाश की कार्यवाही के बाद नेता सदन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस विधेयक को सदन के पटल पर रखा. मगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इसे प्रवर समिति के सुपुर्द करने का प्रस्ताव रख दिया. उन्होंने कहा कि उनका प्रस्ताव है कि इस विधेयक को सदन की प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया जाए जो दो माह के अंदर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करे. इसके बाद सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने इस विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द किए जाने के प्रस्ताव को ध्वनि मत से पारित घोषित कर दिया.
क्या होती है नजूल संपत्ति?
नजूल की जमीन का मतलब ऐसे जमीनों से होता है जिसका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला. ऐसे में इन जमीनों पर राज्य सरकार का अधिकार हो जाता है. दरअसल, अंग्रेजी राज के समय उनके खिलाफ बगावत करने वाली रियासतों से लेकर लोगों तक की जमीनों पर ब्रिटिश राज कब्जा कर लेती थी. वहीं आजादी के बाद इन जमीनों पर जिन्होंने रिकॉर्ड के साथ दावा किया सरकार ने उनकी जमीनों को वापस कर दिया. वहीं जिन जमीनों पर किसी ने दावा नहीं किया वहीं नजूल की जमीन बन गई, जिसका अधिकार राज्य सरकारों के पास था. ये बिल इसी नजूल संपत्ति को लेकर था.
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