बीजेपी उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर महाजनसंपर्क अभियान चला रही है. इस अभियान की जिम्मेदारी सभी सांसदों और मंत्रियों को दी गई है. बीजेपी के सभी सांसद बड़ी शिद्दत से महाजनसंपर्क अभियान में जुटे हैं, लेकिन वरुण गांधी का इस अभियान से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है. उनका अभियान सिर्फ अपने चुनाव के लिए चल रहा है यानी पीलीभीत में अगर कोई अभियान है तो वह वरुण गांधी अभियान है. एक तरफ बीजेपी के विधायक मंत्री और संगठन के लोग महाजनसंपर्क अभियान में लोगों से बीजेपी से जुड़ने की अपील कर रहे हैं, तो वहीं वरुण गांधी पीलीभीत में ‘शेर’ के साथ जुड़ने की अपील लोगों से कर रहे हैं. शेर यानी वह खुद वरुण गांधी हैं.
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वरुण गांधी ने जब से सार्वजनिक तौर पर बीजेपी की मुखालफत शुरू की है, तब से वह पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में शरीक नहीं होते ना ही पार्टी का झंडा, बैनर और पोस्टर नाम-काम कुछ भी वरुण गांधी इस्तेमाल नहीं करते.
वरुण के सांसद रहते मुख्यमंत्री दोनों उपमुख्यमंत्री प्रदेश अध्यक्ष संगठन महामंत्री ऐसे सभी लोग हाल के दिनों में पीलीभीत आ चुके हैं, लेकिन वरुण गांधी किसी एक बीजेपी नेता के साथ मंच पर नहीं आए. वरुण गांधी सिर्फ अपने नाम और अपने काम की बात करते हैं.
वरुण अपना जनसंवाद कार्यक्रम लेकर पीलीभीत आते हैं और दर्जन-दर्जनभर सभाएं अपने क्षेत्र में करते हैं, लेकिन कहीं बीजेपी की कोई चर्चा नहीं करते. पीएम मोदी और सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं लेते. चर्चा सिर्फ अपने अपने काम की करते हैं और इशारों में मोदी से लेकर योगी सरकार तक को घेर लेते हैं.
ऐसे में यह चर्चा भी आम है कि वरुण गांधी को इस बार बीजेपी शायद पीलीभीत से उम्मीदवार ही ना बनाएं. बीजेपी के स्थानीय विधायक और नेताओं से न सिर्फ वरुण की दूरी है, बल्कि वह बीजेपी के स्थानीय, नेताओं के खिलाफ भी बोलने से नहीं हिचकते. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी का प्लान बी भी पीलीभीत के लिए तैयार है.
कहीं यह सारे संकेत वरुण गांधी के बीजेपी से 2024 का चुनाव नहीं लड़ने के तो नहीं!
अंदर खाने चर्चा यह भी है कि बीजेपी ने अपने प्लान बी के तहत पीलीभीत से एक ओबीसी चेहरे को तैयार कर रखा है. कुर्मी बिरादरी से आने वाले कई लोगों ने अपनी दावेदारी ठोक रखी है, लेकिन दो ऐसे लोग हैं जो पीलीभीत से बीजेपी के प्रबल दावेदार हो सकते हैं. एक वर्तमान में योगी सरकार में राज्यमंत्री हैं और दूसरे वो हैं जिन्होंने पिछली बार वरुण गांधी के खिलाफ समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था और अच्छा चुनाव लड़ा था.
उधर, वरुण गांधी का भी अपना प्लान भी तैयार है. अगर वह बीजेपी के टिकट पर पीलीभीत से चुनाव में नहीं आते तो वरुण को कोई भी पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन वरुण गांधी का अपना प्लान बी एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर माना जा रहा है, जिसमें सभी पार्टियां और दल उन्हें समर्थन दे सकते हैं.
तो क्या सचमुच वरुण गांधी बीजेपी से बाहर चले जाएंगे? यह सवाल जब बीजेपी के बड़े नेताओं से पूछा जाता है तो सब चुप्पी साध लेते हैं. कोई वरुण गांधी के बारे में बोलना नहीं चाहता है. बड़े नेता भी यही कहते हैं कि वरुण का फैसला तो दिल्ली दरबार से होगा.
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