Chandrashekhar Azad News: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने अपने तेज तर्रार अंदाज, काले चश्मे, मूंछों पर तांव और नीले गमछे वाले गेट-अप से सियासी गलियारों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बता दें कि चंद्रशेखर के इस गेटअप को उनके चाहने वाले भी बहुत सराहते हैं. सहारनपुर के छुटमलपुर गांव में जन्मे चंद्रशेखर अब नगीना लोकसभा सीट के सांसद बन गए हैं. ऐसे में हर किसी के मन में इस बात को जानने की उत्सुकता है कि चंद्रशेखर ने नगीना लोकसभा क्षेत्र के वोटरों के बीच ऐसा क्या 'जादू' किया कि पहली बार चुनाव लड़ने पर वह जीत गए. आपको बता दें कि इसका सवाल का जवाब खुद चंद्रशेखर ने दिया है. खबर में आगे जानिए उन्होंने क्या बताया?
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नगीना में चंद्रशेखर को कैसे मिली ऐतिहासिक जीत?
नगीना में पहली ही बार चुनाव लड़ने पर जीत कैसे मिली, इसका जवाब खुद चंद्रशेखर आजाद ने दिया है. 'इंडियन एक्सप्रेस' के साथ बातचीत में चंद्रशेखर ने कहा, "नगीना में चुनाव के लिए मैंने सभी विपक्षी दलों से एक साथ लड़ने के लिए बात की थी. मैंने उनसे कहा कि मैं केवल एक सीट से लड़ूंगा और अन्य सीटों पर उनकी मदद करूंगा. उन्होंने मेरे प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. फिर मैंने सोचा कि अगर मैं यह चुनाव नहीं लड़ूंगा, जीतना या हारना कोई मायने नहीं रखता...तो ऐसा लगेगा कि मैं लड़ ही नहीं सकता."
'मैं सुबह 7.30-8 बजे निकल जाता था'
चंद्रशेखर ने कहा, "चूंकि मैं टाइम पत्रिका की 100 "उभरते नेताओं जो भविष्य को आकार दे रहे हैं" (2021) की वार्षिक सूची में भारत से एकमात्र था, मुझे खुद को साबित करने की जरूरत थी. हमने (प्रचार के दौरान) 1200 गांवों में से 700 से अधिक को कवर किया. मैं सुबह 7.30-8 बजे निकल जाता था और अगली सुबह 4-6 बजे लौटटा था."
बकौल चंद्रशेखर, "हमने लोगों से कहा कि उन्होंने सभी को मौका दिया, हमारे काम के आधार पर हमें भी मौका दीजिए. नगीना में गठबंधन सहित तीन राष्ट्रीय दल चुनाव लड़ रहे थे - एनडीए, इंडिया और बसपा. लोगों ने हमारा काम देखा और हमें वोट दिया."
नगीना में किसे मिले कितने वोट?
चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, नगीना में चंद्रशेखर को 512552, भाजपा के ओम कुमार को 361079 वोट, सपा के मनोज कुमार को 102374 वोट जबकि बसपा के सुरेंद्र पाल सिंह को मात्र 13272 वोट मिले और उनकी जमानत भी जब्त हो गई. यह चुनावी आंकड़े इस बात की तस्दीक कर कर रहे हैं कि कभी बसपा का गढ़ रही नगीना लोकसभा सीट अब उसके हाथ से पूरी तरह से छिटक गई है. बसपा का यहां जमानत जब्त होना और चंद्रशेखर का चुनाव जीतना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि जो दलित और मुस्लिम वोटर यहां पहले बसपा की जीत का कारण बनते थे वो अब पूरी तरह से उभरते हुए नए दलित नेता चंद्रशेखर के पक्ष में चले गए हैं.
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