कुछ तो बात है...भाजपा में हो रही सीएम योगी की खिलाफत? केशव प्रसाद मौर्य के बयान के क्या है मायने

कुमार अभिषेक

15 Jul 2024 (अपडेटेड: 15 Jul 2024, 08:37 PM)

Uttar Pradesh News : रविवार को लखनऊ के लोहिया सभागार में हुए बीजेपी की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में सब कुछ दिखाई दे गया

keshav maurya

keshav maurya

follow google news

Uttar Pradesh News : रविवार को लखनऊ के लोहिया सभागार में हुए बीजेपी की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में सब कुछ दिखाई दे गया. शीर्ष नेताओं के बीच खींची तलवारे, नाराज कार्यकर्ताओं के चेहरे, बुझे हुए मन से आगे की लड़ाई लड़ने की कोशिश, प्रदेश के नेताओं और पार्टी के पदाधिकारी के झुके हुए कंधे. बड़े नेताओं की कार्यकर्ताओं से नजरे न मिलने की कोशिश पर इन सब के बावजूद कार्यकर्ताओं में दोबारा जोश भरने का अथक प्रयास भी बड़े नेताओं की ओर से दिखाई दिया. 

यह भी पढ़ें...

सीएम योगी के खिलाफ कौन बना रहा है माहौल

कार्यकर्ताओं को लेकर केशव मौर्य ने सबसे बड़ी बात कही. केशव मौर्य ने कार्यकर्ताओं से कहा कि, 'जो आपका दर्द है, वही मेरा भी दर्द है. सरकार से बड़ा संगठन है, संगठन था और रहेगा.' केशव मौर्य ने कहा कि, 'सात कालिदास मार्ग कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा खुला है.' बीजेपी की प्रदेश कार्य समिति की बैठक में कार्यकर्ताओं के मन की बात कहने पर केशव मौर्य को सबसे ज्यादा तालियां मिलीं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोलते हुए अपनी अलग लकीर खींच डाली. मुख्यमंत्री ने अपने गवर्नेंस को लेकर साफ कर दिया कि जिस अंदाज में उनकी सरकार चल रही है उसे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने उदाहरण मोहर्रम का जरूर दिया लेकिन संदेश सबके लिए था. जब संगठन के बड़े नेता प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केशव मौर्य तक कार्यकर्ताओं की बात कर रहे थे तो उसका जवाब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह कह कर दिया कि, 'जब विपक्ष झूठ नेगेटिव बढ़ रहा था तो हमारे कार्यकर्ता जवाब क्यों नहीं दे पाए. स्मार्टफोन पर सुबह शाम गुड मॉर्निंग भेजा जा सकता है लेकिन विपक्ष के फैलाए झूठ का जवाब क्यों नहीं दिया गया.'

केशव मौर्य के बयान के क्या है मायने

मुख्यमंत्री के निशाने पर संगठन था और इसीलिए उन्होंने "अति आत्मविश्वास" शब्द का इस्तेमाल किया. सीएम योगी ने यह भी कहा कि चुनाव के नतीजों से किसी को बैकफुट पर जाने की जरूरत नहीं है. दरअसल, इसका अर्थ निकालने वाले कुछ भी निकाले लेकिन मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया कि वह भी बैकफुट पर नहीं जाने वाले. चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी के नेताओं की आवाज की खनक पहले शायद ही इतनी कम होती हो जो इस बार उत्तर प्रदेश में इस प्रदेशकार्य समिति की बैठक में दिखाई थी. कार्य समिति के बैठक की शुरुआत प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के भाषण से शुरू हुई, अपनी बात रखते हुए आखिर में भूपेंद्र चौधरी ने कार्यकर्ताओं के लिए जो बात कही वह महत्वपूर्ण थी. उन्होंने कहा कि, कार्यकर्ता हमारे लिए सबसे बढ़कर है. उसके मान-सम्मान से कोई समझौता नहीं हो सकता.

यूं तो कार्यकर्ताओं की बात सबने की लेकिन राजनीतिक प्रस्ताव में कार्यकर्ताओं के बीच फैली निराशा का कोई जिक्र नहीं है. ना ही अफसरशाही के खिलाफ लगातार बोल रहे नेताओं के उसे मुद्दे का जिक्र है. जिसने यह कहा गया है की कार्यकर्ता नाराज होकर घर बैठ गया कार्यकर्ता थाने और तहसील पर लोगों का सही काम भी ना कर पाने की वजह से चुनाव में शांत रहा, यानी कार्यकर्ताओं के दर्द कोई जिक्र राजनीतिक प्रस्ताव में नहीं हुआ. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभी से आत्मचिंतन की बात जरूर की. यह नसीहत सबके लिए है चाहे संगठन हो या सरकार अब देखना यह है कि क्या खींची हुई तलवार में बयान में जाती हैं या फिर आने वाले वक्त में उत्तर प्रदेश शीर्ष स्तर पर मचा घमासान यूं ही बना रहता है.

    follow whatsapp