गाजीपुर: निकाय चुनाव में हार के बाद सपा में मचा घमासान, आरोप-प्रत्यारोप के बीच सैकड़ों ने छोड़ी पार्टी

विनय कुमार सिंह

• 05:55 PM • 15 May 2023

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के नतीजे शनिवार को आए. गाजीपुर में नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सीट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी सरिता अग्रवाल…

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उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के नतीजे शनिवार को आए. गाजीपुर में नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सीट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी सरिता अग्रवाल के भारी मतों के अंतर से जीतने के बाद समाजवादी पार्टी खेमे में घमासान छिड़ गया है.

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पिछले दो बार से नगर पालिका परिषद गाजीपुर चुनावों में चेयरमैन पद के दावेदार विवेक सिंह ‘शम्मी’, जो सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी के नाती भी हैं. वह समाजवादी पार्टी से किस्मत आजमा रहे थे.

पिछली बार महिला सीट होने के नाते सपा ने विवेक सिंह ‘शम्मी’की मां प्रमिला सिंह को टिकट भी दिया था और भाजपा से हारने के बाद भी शम्मी ने पांच साल क्षेत्र में अपनी उपस्थिति समाजसेवी के रूप में बनाई रखी,लेकिन इस बार उनका टिकट समाजवादी पार्टी ने काटकर सपा के जुझारू कार्यकर्ता दिनेश यादव को दिया था.

दिनेश यादव लगभग 3353 वोटों से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी सरिता अग्रवाल से चुनाव हार गए. इसके बाद समाजवादी पार्टी में टिकट कटने के बाद नाराज और बागी शम्मी ने कल रविवार को अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी से इस्तीफे की घोषणा करते हुए सदर विधायक जैकशुन साहू पर भाजपा की मदद का गंभीर आरोप लगा दिया.

साथ ही बीजेपी की नव निर्वाचित चेयरमैन सरिता अग्रवाल के पति और भाजपा नेता और पूर्व चेयरमैन विनोद अग्रवाल और जय किशन साहू के साथ बैठे हुए. फोटो दिखाकर आरोप लगाते हुए कहा कि जय किशन साहू अपने स्वजातीय वैश्य बिरादरी की बीजेपी चेयरमैन सरिता अग्रवाल को जिताने के लिए सपा के दिनेश यादव जैसे कमजोर प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार दिए थे, जिससे समाजवादी पार्टी जीतती हुई सीट हार गई.

वहीं, इस आरोप के प्रत्यारोप में सपा के सदर विधायक जैकिशन साहू, समाजवादी पार्टी के हारे प्रत्याशी दिनेश यादव और टीम के साथ आज प्रेस कॉन्फ्रेंस किए और विवेक सिंह शम्मी के आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें बीजेपी का सहयोगी बता कर सनसनी फैला दी. जय किशन साहू और दिनेश यादव ने संयुक्त रूप से कहा कि यह समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं और इस बार समाजवादी पार्टी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के रूप में काम किए हैं.

सदर विधायक विनोद अग्रवाल के साथ दिखाई जाने वाली फोटो पर उन्होंने बयान देते हुए कहा कि कहीं किसी के गम के मौके पर उसके दरवाजे पर मैं भी पहुंचा था और विनोद भी पहुंचे थे. उसी दौरान किसी ने यह फोटो खींच ली, जिसका आज गलत अर्थ लगाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है.

फिलहाल जय किशन साहू ने कहा कि विवेक सिंह शम्मी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता पाए जाने पर समाजवादी पार्टी के तत्कालीन जिला अध्यक्ष ने 12 सितंबर को पार्टी से निकाले जाने का पत्र जारी कर दिया था, लेकिन फिर भी चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी दिनेश उनके घर गए थे और उनसे समर्थन मांगा था. लेकिन उन्होंने समर्थन देने की बजाय भारतीय जनता पार्टी को सहयोग किया.

वहीं, विवेक सिंह शम्मी ने इस बात का खंडन किया और 24 सितंबर और उसके बाद की दो समाजवादी पार्टी की रसीदें दिखाकर बोले कि जब मुझे निकाल दिया गया था तो उसके बाद के तारीख में पैसा जमा की रसीद और सदस्यता विस्तार की रसीद मुझे कैसे जारी कर दी गई?

उन्होंने कहा कि मैं इस बार जीत रहा था लेकिन साजिश करके जय किशन साहू सदर विधायक ने समीकरण के हिसाब से सबसे कमजोर प्रत्याशी दिनेश यादव को चुनाव मैदान में उतार दिय, जिससे जय किशन साहू के स्वजातीय सरिता अग्रवाल चेयरमैन चुन ली गईं.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि निजी स्वार्थ में जय किशन साहू ने समाजवादी पार्टी की लुटिया गाजीपुर में डुबो दी. उन्हीं आरोपों के खंड में जय किशन साहू ने दिनेश यादव और समर्थकों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और विवेक सिंह शम्मी को भारतीय जनता पार्टी का एजेंट करार दिया. फिलहाल नगर निकाय चुनाव तो खत्म हो गया है. गाजीपुर में अफजाल अंसारी के जेल जाने के बाद रिक्त हुई लोकसभा उपचुनाव की परिस्थिति में देखना है, किस समाजवादी पार्टी जिसमें आज घमासान मचा हुआ है उसे बड़े नेता कैसे पार पाते हैं.

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