Ghosi By Election 2023: लोकसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में होने वाले घोसी उपचुनाव पर सभी की नजरें बनी हुई हैं. बता दें कि मऊ जनपद की घोसी विधानसभा सीट पर 5 सितंबर को मतदान होना है, जबकि मतों की गिनती 8 सितंबर को की जानी है. ये सीट इसलिए भी खास है कि साल 2022 में हुई विधानसभा चुनावों में भाजपा (BJP) छोड़ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल हुए दारा सिंह चौहान ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. बता दें कि दारा सिंह चौहान अब एक बार फिर सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं. आपको बता दें कि साल 2019 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर भाजपा के विजय राजभर ने जीत दर्ज की थी.
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कभी भाजपा तो कभी BSP तो कभी सपा के कब्जे में रही ये सीट
घोसी विधानसभा सीट कभी भाजपा तो कभी बसपा तो कभी सपा के पास रही है. इस सीट का इतिहास तो कुछ ऐसा ही कहता है. अगर हम बात करें इस सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव और उपचुनाव की तो साल 2002 के विधानसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी फागू चौहान ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में फागू चौहान ने भाजपा का दामन छोड़ बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया था. चुनावों में बसपा से उन्होंने एक बार फिर इस सीट से जीत दर्ज की थी.
फिर सपा के पास गई ये सीट
फिर आए साल 2012 के विधानसभा चुनाव, इन चुनावों में सपा ने जहां पूरे प्रदेश में परचम लहराया तो वहीं इस सीट पर भी सपा की साइकिल खूब चली. इस दौरान समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की.
साल 2017 में फागू चौहान ने एक बार फिर भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा और मोदी-योगी लहर में जीत दर्ज की. इसी बीच फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बना दिया गया, जिससे ये सीट खाली हो गई. साल 2019 में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार विजय राजभर ने एक बार फिर इस सीट पर भाजपा का कमल का फूल खिलाया और जीत दर्ज की. इस दौरान सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह दूसरे स्थान पर रहे.
दारा सिंह चौहान चुनाव से ठीक पहले हुए थे सपा में शामिल
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दारा सिंह चौहान भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो गए थे. सपा ने दारा सिंह चौहान को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था. दूसरी तरफ भाजपा ने विजय राजभर को ही मैदान में उतारा था. मगर 2022 का चुनावी परिणाम सपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान के पक्ष में गया था और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार को 22 हजार वोटो के अंतराल से हरा दिया था.
क्या कहता है इस सीट का जातीय समीकरण
अगर हम इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुल वोटो की संख्या लगभग 4,24,800 है. इसमें सबसे ज्यादा 86 हजार संख्या मुस्लिमों वोटर्स की है. इसके बाद अनुसूचित जाति के वोटर हैं, जिनकी संख्या लगभग 71 हजार है. तीसरे स्थान पर यादव मतदाताओं की संख्या है. इसके बाद राजभर, चौहान और राजपूत वोटरों की संख्या है.
भाजपा उतार सकती है दारा सिंह चौहान को मैदान में
बता दें कि अभी तक सपा और भाजपा ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. मगर माना जा रहा है कि इस उपचुनाव में भाजपा जहां दारा सिंह चौहान को चुनावी मैदान में उतार सकती है तो वहीं सपा सुधाकर सिंह को चुनावी मैदान में खड़ा कर सकती है.
दरअसल साल 2019 में हुई उपचुनाव में महज 1773 वोटों से सुधाकर सिंह चुनाव हारे थे. तो वहीं 2022 में हुई विधानसभा चुनाव में सपा ने दारा सिंह चौहान की वजह से सुधाकर सिंह को टिकट नहीं दिया था. अब जब दारा सिंह चौहान ने एक बार फिर सपा छोड़कर भाजपा का दामन थामा है तो उम्मीद जताई जा रही है कि भाजपा दारा सिंह चौहान को टिकट दे सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि सपा अपने पुराने नेता सुधाकर सिंह को चुनावी मैदान में उतार सकती है.
इतना तो तय है कि इस उप चुनाव में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. जहां एक तरफ समाजवादी पार्टी अपनी जीती हुई सीट पर एक बार फिर कब्जा कहना चाहेगी तो वहीं भाजपा इस सीट पर जीत दर्ज कर उसे सपा से छिनना चाहेगी. फिलहाल इस सीट का सियासी गणित ऐसा है कि भाजपा और सपा, दोनों में से कोई भी सियासी दल अपनी अपनी जीत को लेकर सुनिश्चित नहीं बैठ सकता. चुनाव किसके पक्ष में जाता है, ये आने वाला वक्त ही बताएगा.
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