Harishankar Tiwari News: पूर्व कैबिनेट मंत्री और उत्तर प्रदेश के दिग्गज ब्राह्मण नेताओं में शुमार होने वाले हरिशंकर तिवारी की प्रतिमा लगाने के लिए बनाए गए चबूतरे पर बुल्डोजर चला दिया गया है. हरिशंकर तिवारी के पैतृक गांव टाड़ा में प्रशासन के इस ऐक्शन ने स्थानीय लोगों में रोष का वातावरण बना दिया है. चिल्लूपार के पूर्व विधायक और उनके बेटे विनय शंकर तिवारी ने इसे अपमानजनक बताते हुए प्रशासनिक गुंडई और सत्ता का अहंकार कहा है. उन्होंने परोक्ष तौर पर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे व्यक्तिगत शत्रुता और ब्राह्मण स्वाभिमान पर कथित प्रहार से भी जोड़ा है. समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने भी इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी है.
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पहले हरिशंकर तिवारी से जुड़ा ये पूरा मामला जानिए
हरिशंकर तिवारी के गांव टाड़ा में बुल्डोजर की धमक तब देखने को मिली जब उनकी मूर्ति स्थापित करने के लिए बन रहे चबूतरे को प्रशासन ने तोड़ दिया. पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत हरिशंकर तिवारी के पैतृक गांव चिल्लूपार विधानसभा के बड़हलगंज टाड़ा में उनकी प्रतिमा लगने से प्रशासन ने फिलहाल रोक दिया है. मूर्ति लगाने के लिए बन रहे फाउंडेशन को जमींदोज कर दिया गया है. हालांकि इस दौरान प्रशासन और पुलिस को ग्रामीणों के विरोध का भी सामना करना पड़ा.
बताया जा रहा है कि यह चबूतरा ग्रामसभा की जमीन पर बन रहा था. इस कार्रवाई पर उनके बेटे विनयशंकर तिवारी ने एक लंबी फेसबुक पोस्ट लिखकर आपत्ति जताई है. विनय शंकर तिवारी ने इसमें लिखा है, 'यह राजनैतिक अराजकता है. प्रशासनिक गुंडई है. या सत्ता का अहंकार. नीचता निकृष्टता की पराकाष्ठा या व्यक्तिगत शत्रुता. ब्राह्मण स्वाभिमान को चुनौती या समूची इन्सानियत की हत्या. यह निर्णय समय पर चिल्लूपार विधान सभा के लोग तो करेंगे ही देश और प्रदेश के निवासियों को भी करना है!'
उन्होंने आगे लिखा, 'वस्तुत: हो यह रहा है कि लगातार चिल्लूपार से सात बार विधायक और सन 1996 से 2007 तक उत्तर प्रदेश की भिन्न भिन्न सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे सम्मान व स्वाभिमान के प्रतीक स्व. पण्डित हरि शंकर तिवारी जी के जन्म दिवस 5 अगस्त को उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करने का मन बनाकर मेरे गांव टाड़ा के ग्रामप्रधान और ग्राम प्रबंध समिति के लोगों ने गांव के मुख्य द्वार का नामकरण उनके नाम पर करने और वहीं बगल में उनकी प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया. विधिक रूप से प्रस्ताव बनाकर उसे स्वीकृति हेतु उपजिलाधिकारी तहसील गोला को प्रेषित किया और अपनी तैयारी में लग गए. स्व.पंडित हरिशंकर तिवारी के कद पद प्रतिष्ठा सम्मान के अनुरूप उन्हे अपनी श्रद्धांजलि देने हेतु ग्राम वासियों के अतिरिक्त अन्य कई सारे वरिष्ठ नेताओं पूर्व मंत्रियों और क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति होनी है सो स्वाभाविक रूप से इस आयोजन को एक भव्य स्वरूप देने की तैयारी चल रही थी कि अचानक आज दिनांक 31 जुलाई को मूर्ति स्थापना हेतु निर्मित चबूतरे को ढहाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल के साथ बुल्डोजर वाली सरकार बुल्डोजर के साथ पहुंची और निर्मित चबूतरे को ढहा दिया गया.'
उनकी इस फेसबुक पोस्ट को यहां नीचे देखा जा सकता है.
अखिलेश यादव ने क्या कहा?
सपा चीफ अखिलेश यादव ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है. इस ट्वीट में अखिलेश ने लिखा, 'अब तक भाजपा का बुलडोज़र दुकान-मकान पर चलता था, अब दिवंगतों के मान-सम्मान पर भी चलने लगा है. चिल्लूपार के सात बार विधायक रहे उप्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. श्री हरिशंकर तिवारी जी की जयंती पर उनकी प्रतिमा के प्रस्तावित स्थापना स्थल को भाजपा सरकार द्वारा तुड़वा देना, बेहद आपत्तिजनक कृत्य है. प्रतिमा स्थापना स्थल का तत्काल पुनर्निर्माण हो, जिससे जयंती दिवस 5 अगस्त को प्रतिमा की ससम्मान स्थापना हो सके. निंदनीय!'
कौन थे हरिशंकर तिवारी?
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी का पिछली साल 90 वर्ष की उम्र में गोरखपुर में निधन हो गया. यूपी की कई सरकारों में मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी एक जमाने में पूर्वांचल के बाहुबली कहे जाते थे. उनके बेटे भी राजनीति में संसद और विधायक रह चुके हैं.हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार विधानसभा सीट से लगातार 22 वर्षों (1985 से 2007) तक विधायक रहे हैं. उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के नेता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले हरिशंकर तिवारी कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मायावती और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व की उत्तर प्रदेश सरकार में 1997 से 2007 तक लगातार कैबिनेट मंत्री भी रहे.
हरिशंकर तिवारी के नाम से पूरा पूर्वांचल थर्राता था. साल 1985 में पहली बार हरिशंकर तिवारी जेल में रहते हुए चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और उन्होंने जीत हासिल की. साल 1997 से लेकर 2007 तक यूपी में किसी भी पार्टी की सरकार बनी हो उसमें हरिशंकर तिवारी जरूर मंत्री बने थे. हरिशंकर तिवारी से जुड़ा एक खास किस्सा आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं.
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