उच्च सदन में जयंत चौधरी ने बताई महंगाई की ऐसी वजह जो सभी ने माना, सभापति ने भी कहा- सही है

यूपी तक

• 05:02 PM • 02 Aug 2022

सपा के टिकट पर राज्यसभा में पहुंचने के बाद पहली बार आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को पहली बार सदन में बोलने का मौका मिला. जयंत…

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सपा के टिकट पर राज्यसभा में पहुंचने के बाद पहली बार आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को पहली बार सदन में बोलने का मौका मिला. जयंत चौधरी ने महंगाई पर अपनी बात रखी. उन्होंने महंगाई के कारणों को गिनाते हुए इसे कम करने के तमाम कारणों को बताने के साथ ही एक आम आदमी का सुझाव भी सदन तक पहुंचाया जिसे सभी ने हंसते हुए पसंद किया.

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जयंत चौधरी ने कहा- मुझसे पहले माननीय सदस्यों ने भी बात रखी. माननीय सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि दूंगा. इसमें कोई शक नहीं मुझे याद है, मैंने लोकसभा में उनके भाषण को सुना. जिस तरीके से जमीन से जुड़ी बात, घर-गृहस्थी का बात, मध्यम वर्ग और गरीब के दर्द के को बयान करती थीं. उनसे प्रेरणा लेते हुए आज वो दायित्व हमारा है. मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं.

आलू-प्याज की बजाय खेती की लागत पर की बात

जयंत चौधरी ने कहा- हमने चर्चा की है, खाद्यान्न के महंगाई की के दर पर सभी सदस्यों ने बात की. मूल बात सदन में हुई है उससे मैं अलग राय रखता हूं. हम महंगाई की बात करते हैं तो तुरंत आलू, प्याज, टमाटर पर आ जाते हैं. हमने क्या सीमेंट, सरिया, ईंट की बात की? ट्रैक्टर के भाव बढ़ गए? पपंसेट के भाव कैसे बढ़ गए उनकी बात की? क्या किसान की लागत की चर्चा कर पा रहे हैं?

8 सालों में इतनी महंगी हो गई खेती

सदन में महंगाई पर बोलते हुए जयंत चौधरी ने कहा- अप्रैल से जून 2020 के आंकड़े. ये जो तीन महीने सीपीआई फूड इन्फ्लेशन 8 प्रतिशत रहा तो काफी होता है, मैं मान रहा हूं. उसी समय डब्ल्यूपीआई फॉर्म इनपुट इन्फ्लेशन 27.4 फीसदी रहा. यहां लाइव एक्सपीरियंस बता रहा हूं. 2014 में एक एकड़ के गेहूं के खेत पर ट्रैक्टर से जुताई करते तो औसतन 3000 रुपए खर्च हो रहे थे. आज 8 साल बाद 5400 रुपए लग रहे हैं. 2014 में एक एकड़ के धान की खेती करते तो 300 रुपए का बीज आता था. अब 600 लग रहे हैं. खाद और दवाई पर 3000 खर्च हो रहे थे तो आज 6000 लग रहे हैं.

टमाटर प्रोसेसिंग में भी 12 फीसदी जीएसटी चाहती है सरकार

जयंत चौधरी ने कहा- हम सिर्फ महंगाई की बात करें. 2018 में 500 करोड़ दिए, सवाल बनता है. उस संसाधन का क्या प्रयोग हुआ. क्या हमने खाद्य प्रसंस्करण की इंडस्ट्री को फूड प्रोसेंसिंग को बढ़ावा दिया है? क्या ये सचाई नहीं है कि बात टमाटर से शुरू होते है उसके प्रोसेसिंग में 12 परसेंट जीएसटी वसूलना चाहते हो. क्या चिप्स और नमकीन बनाएंगे तो 12 परसेंट जीएसटी वसूलना चाहते हो. ये भी एक कारण है कि जो फूड इन्फ्लेशन है वो बेकाबू हो रहा है.

पाकिस्तान से भी ज्यादा है भारत में सीपीआई का फूड वेटेज

जयंत चौधरी ने कहा- मैं आग्रह करूंगा, वित्त मंत्री को सुझाव देना चाहता हूं कि यदि सीपीआई में वेटेज है फूड का आप उसे घटा देंगे तो ये जो बेवजह चर्चाएं होती हैं, आप पर भी दबाव कम होगा. आप तुलना कीजिए जर्मनी में सीपीआई का फूड का वेटेज साढ़े 8 परसेंट, ब्राजील में साढ़े 25 परसेंट है. चाइना में 19.9 परसेंट. पाकिस्तान में भी 35 परसेंट है. हमारे यहां 46 परसेंट है.

दूध का भाव 1 रुपए बढ़ जाता है तो त्राहि-त्राहि मच जाती है

जयंत चौधरी ने कहा- दूध का भाव एक रुपए भी बढ़ जाएगा तो त्राहि-त्राहि मच जाएगा. आप पर भी दबाव बन जाएगा तो आप व्यवहारिक फैसले नहीं ले पाती हो. हमने देखा है दुनिया ने देखा है. कॉमर्स मिनस्ट्री डेलीगेशन तैयार कर रहा था. एक्स्टर्नल अफेयर मिनिस्ट्री पीएम को ब्रीफ कर रहे थे. प्रधानमंत्री यूरोप में कह रहे थे कि हम दुनिया का पेट भरेंगे और गेहूं का निर्यात करंगे और कुछ ही दिनों में आपने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. ऐसे फैसले न हों, इसलिए मेरी मांग है.

जयंत चौधरी ने कहा- मेरी सहानुभूति है वित्त मंत्री जी के साथ. जबसे वे आईं हैं, उन्होंने मजबूर होकर क्राइसिस मैनेजमेंट में काम किया है. मैं पूछता चाहता हूं कि आज मनसून डिफिशिएंसी है. यूपी, बिहार, झारखंड में जितनी बारिश होती थी नहीं हुई. 23 फीसदी धान की बुआई यूपी में कम हुई है. क्या कृषि विभाग ने कोई मीटिंग ली है? क्या आपने उनके साथ कोई बैठक ली है? उनके साथ बैठक लेंगी?

आम आदमी ने बताया कैसे महंगाई कम होगी

सदन में अपनी बात खत्म करते हुए जयंत चौधरी ने कहा- आम आदमी कहता है कि उसके पास सारी चीजों का समाधान है. एक आम आदमी ने कहा- आप सदन में जा रहे हैं चर्चा करेंगे. पांच साल तो सरकार रहेगी. ऐसी व्यवस्था बना दो कि हर दो-तीन महीने में कहीं न कहीं चुनाव करा दो. सरकार डीजल-पेट्रोल-बिजली कोई भी भाव बढ़ने ही नहीं देगी.

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