विधान परिषद चुनाव: स्वामी प्रसाद मौर्य के नाम पर भड़के केशव देव मौर्य, कही ये बात

यूपी तक

• 04:42 AM • 10 Jun 2022

विधान परिषद की सपा के खाते की 4 सीट के बंटवारे के बाद सहयोगी दलों की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है. एक तरफ सुहेलदेव…

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विधान परिषद की सपा के खाते की 4 सीट के बंटवारे के बाद सहयोगी दलों की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है. एक तरफ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि मांगो उसी से जो दे दे खुशी और कहे ना किसी से. वहीं महान दल सुप्रीमो केशव देव मौर्य ने सपा गठबंधन से खुद को अलग करने का ऐलान करते हुए कहा कि उनके साथ सौतेला व्यवहार हुआ है. यूपी तक में उन्होंने समाजवादी पार्टी के इस निर्णय पर खुलकर बात की.

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केशव देव मौर्य ने कहा- मैं बिल्कुल गठबंध में नहीं हूं. गठबंधन से सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं. एक हाथ से ताली नहीं बजती. हम साधु-महात्मा संत नहीं हैं. हम राजनीतिक व्यक्ति हैं. हिस्सेतदारी और फायदे के लिए समाजवादी गठबंधन में आए थे. हम अकेले ही 403 सीटों पर लड़ सकते और जीत सकते तो आखिलेश यादव से गठबंधन करके दो सीट पर क्यों लड़ते. हमें आपसे फायदा है और आपको हमसे फायदा है. तभी हमारा और आपका रिश्ता चल सकता है.

स्वामी प्रसाद मौर्या को विधान परिषद में भेजना गलत

स्वामी प्रसाद मौर्य का भेजना बिल्कुल गलत था. मुझे बहुत बुरा लगा. आपने सबसे कहा कि हम छोटे-छोटे समाज हैं. इनको हम प्रतिनिधित्व देना चाहते हैं. इससे बड़ा प्रतिनिधित्व तो बीजेपी ने दिया था. अपनी पार्टी में कठपुतली नेता पैदा करते हैं जो अपकी जी हुजूरी करे. अपने समाज के साथ हो रहे दुखदर्द पर आवाज न उठा पाए ये प्रतिनिधित्व नहीं होता है. ये दिखावा होता है. यदि अखिलेश प्रतिनिधित्व देना चाहते थे तो केशव देव मौर्य में क्या बुराई थी. केशव देव सबसे पहले गठबंधन में आया. अखिलेश यादव बीजेपी की तरह दिखावे की राजनीति करते हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य जो बीजेपी की मलाई खाने सपा में आए थे. उनकी बेटी अभी भाजपा में मलाई खा रही है. उनकी जगह आप 10 सालों से समाजवाद का झंडा ढोने वाले दर्जनों नेता हैं, उन्हें बना देते. तब भी मुझे कोई ऐतराज नहीं था.

मैंने सपा से 8 सीटें मांगी थी, मिली महज 2- केशव देव

केशव देव ने कहा कि यदि आप हमसे फायदा लें और हमें कोई फायदा न देना चाहें तो ये रिश्ता बहुत दिन तक नहीं चलता है. मैंने गठबंधन करते समय आखिलेश यादव से कहा था कि हमें 8 सीट चाहिए यूपी से. जबकि मैंने कम मांगी थी. छूट भी दिया था कि अच्छी और खराब जहां आपको दिक्कत आए वो सीट मत दीजिएगा. जो मैं डिमांड कर रहा हूं वहां कोई परेशानी आए तो आप बता दीजिएगा मैं दूसरी ले लूंगा.

केशव देव मौर्य ने कहा- मैंने बीजेपी को रोकने के लिए सपा के मुखिया को फ्री हैंड रखा कि आप जैसा चाहें महान दल और केशव देव मौर्या का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन जब सरकार बनेगी तो आपसे मैं मागूंगा. उन्होंने 8 सीट की बजाय 2 सीट दी. वो भी नापंसद की सीटें दी. फिर भी नहीं बोला.

पूरे चुनाव में मेरी उपेक्षा हुई

केशव देव ने आगे कहा- पूरे चुनाव में मेरी उपेक्षा हुई. रैलियों में सम्मेलनों में नहीं बुलाया गया. जिस प्रकार जयंत जी, राजभर जी का इस्तेमाल हुआ मेरा नहीं हुआ. मैंने तमाम रैलियां खुद आयोजित कीं. मैंने अखिलेश जी को बुलाया तो उन्होंने मना कर दिया. मैंने कहा कि किसी जिम्मेदार को ही भेज दीजिए. उन्होंने मना कर दिया. ये सौतेला व्यवहार उन्होंने किया. मैं तब भी चुप था क्योंकि मेरा मकसद था बीजेपी को रोकना था. इसके लिए प्रदेश में केवल एक ही पार्टी सक्षम थी वो सपा.

सपा से नहीं मिलता सिद्धांत- केशव देव मौर्य

हमारा सिद्धांत सपा से नहीं मिलता है. हम उनसे किसी विषय पर सहमत नहीं हैं. हम तो पहले भी कह चुके हैं कि जब सपा की सरकार आती है तो एक जाति विशेष को ही सारी नौकरी और हिस्सेदारी मिल जाती है. हम उनसे सहमत ही थे तो नई पार्टी क्यों बनाते. ये सच है कि सपा के रहते दलित पिछड़े ओर अल्पसंख्यकों का फायदा हुआ. नेता जी ने किया, लेकिन उस कदम को आगे अखिलेश जी कैसे बढ़ाते हैं? मुझे नहीं लगता कि वो इसे आगे बढ़ा रहे है.

अखिलेश जी चाटूकारों से घिरे हैं- केशव देव

अखिलेश जी चाटूकारों से घिरे हुए हैं. जमीनी नेताओं की कद्र न पार्टी में है और न ही पार्टी के बाहर हम गठबंधन के नेताओं की है. महान दल एक बड़ा संगठन था. जहां दल का सगठन और जनाधार था वहां हमारी रैली न कराके एक आयातित नेता हैं लाभ के लिए स्वामी प्रसाद मौर्या से हमारे क्षेत्रों में रैली कराई गई है. महान दल के समर्थक भड़के. वोट नहीं मिला. ठीक से महान दल को इस्तेमाल किया होता तो आज सपा की सरकार थी. मैंने 22-25 रैली सपा के प्रत्याशियों का अपने संसाधान से की. सपा और अखिलेश जी रोकते रहे कि मैं वहां न जाऊं. मेरा जनाधार वहां न बढ़े. एक तरफ मैं आपके जीत के लिए मेहनत कर रहा हूं. दूसरी तरफ आप मुझे एक जिले और विधानसभा में सीमित कर देना चाहते हैं. कमजोर करना चाहते हैं. इसलिए ऐसा रिश्ता नहीं चलता.

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