‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ के मूल मंत्र के साथ चुनाव प्रबंधन करने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में नये सिरे से बूथ समितियों के गठन में जुट गयी है और निचली इकाइयों से 10 फरवरी तक बूथ परिसीमन का ब्योरा मांगा है.
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भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने प्रदेश के सभी क्षेत्रीय प्रभारी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, जिला प्रभारी और जिला अध्यक्षों को पत्र भेजकर पांच जनवरी, 2023 को प्रकाशित मतदाता सूची के आधार पर बूथ समितियों के गठन की जिम्मेदारी सौंपी है.
उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान अधिकतम 1200 मतदाताओं पर एक बूथ बना था, लेकिन पांच जनवरी 2023 को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार हर बूथ पर अब 1500 मतदाता होंगे; इससे प्रदेश में करीब 13 हजार बूथ कम हो गये हैं और बूथों की क्रम संख्या में व्यापक बदलाव हुआ है.
उन्होंने कहा है कि इस व्यापक बदलाव से हमारी संगठनात्मक मैपिंग भी पुन: बदलेगी, इसलिए मंडल, शक्ति केंद्र और बूथ परिसीमन पांच जनवरी 2023 को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार नये सिरे से करना है.
प्रदेश महामंत्री(संगठन) ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदेश में मंडल और शक्ति केंद्रों की संख्या यथावत रहेगी और जहां भी बूथ घट या बढ़ रहे हैं, उनको उसी शक्ति केंद्र में समायोजित कर देना है, अलग से कोई शक्ति केंद्र गठित नहीं करना है. धर्मपाल सिंह ने पदाधिकारियों को परिसीमन के लिए खाका भेजा है और उसे पूरा करके 10 फरवरी तक राज्य मुख्यालय की चुनाव प्रबंधन इकाई को भेजने के निर्देश दिए हैं.
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पार्टी ने अपने संगठनात्मक ढांचे में एक लाख 76 हजार से अधिक बूथों पर संगठन बनाया था, लेकिन नये सिरे से होने वाले बदलाव में अब करीब 13 हजार बूथ समितियों की संख्या घट जाएगी.
भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में एक शक्ति केन्द्र पर पांच से छह बूथ होते हैं और शक्ति केंद्रों के प्रभारी और संयोजक इनकी निगरानी करते हैं. उत्तर प्रदेश में भाजपा के 27 हजार से अधिक शक्ति केंद्र, 1918 मंडल और 98 संगठनात्मक जिले हैं, जबकि पूरे प्रदेश को काशी, गोरखपुर, अवध, कानपुर-बुंदेलखंड, ब्रज और पश्चिम कुल छह क्षेत्रों में बांटकर संगठन की संरचना की गयी है.
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की पिछले माह लखनऊ में हुई बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पदाधिकारियों को प्रदेश की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य सौंपा.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना दल (सोनेलाल) के साथ गठबंधन कर राज्य की 80 सीटों में से 64 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस ने एक, सपा ने पांच और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 10 सीटें जीती थीं. तब सपा-बसपा ने मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ा था। हालांकि, पिछले वर्ष हुए उपचुनावों में आजमगढ़ और रामपुर सीट भाजपा ने सपा के कब्जे से छीन ली लेकिन मैनपुरी सीट बचाने में सपा कामयाब रही.
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