BSP in Jammu and Kashmir election: अपनी सबसे मजबूत जमीन उत्तर प्रदेश में लगातार हाशिये पर जा रही बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में भी झटका लगा है. सीट जीतने की बात तो छोड़ दीजिए बीएसपी को इन दोनों जगहों में से कहीं भी अपने प्रदर्शन से कोई छाप छोड़ने में भी कामयाबी नहीं मिली है. खासकर जम्मू-कश्मीर में तो बीएसपी का चुनावी प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा है. आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में जब विधानसभा चुनावों का ऐलान हुआ था तो पार्टी सुप्रीमो मायावती ने यहां अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. मायावती ने पोलिंग के दौरान जम्मू-कश्मीर के दलित मतदाताओं से अपील की थी कि वो कांग्रेस और बीजेपी, दोनों को छोड़कर बसपा को वोट करें. पर इस अपील का कोई असर होता नजर नहीं आया.
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बसपा को नोटा से भी कम वोट मिले
जम्मू-कश्मीर की सभी 90 सीटों के चुनावी नतीजे सामने आ चुके हैं. यहां बसपा के हाल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी को नोटा (NOTA- None of the Above) से भी कम वोट मिले हैं. जम्मू-कश्मीर में 1.48 फीसदी यानी 84397 वोट नोटा को मिले हैं. बसपा को सिर्फ 0.96 फीसदी यानी 54822 वोट ही मिल पाए हैं.
1996 के चुनाव में यहां बसपा ने जीती थी 4 सीटें
एक वक्त बसपा जम्मू-कश्मीर में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा चुकी है. पर उस वक्त को गुजरे हुए भी लंबा वक्त हो गया. आपको बता दें कि तब बसपा ने यहां 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 4 पर जीत मिली थी. उस साल बसपा ने यहां 6.43 फीसदी वोट हासिल किए थे. 2002 के चुनाव में भी बसपा को यहां एक सीट पर जीत मिली थी. तब बीएसपी को 4.50% वोट मिले थे. पर इस चुनाव में बसपा नोटा से भी पिछड़ गई.
अखिलेश की सपा का तो इससे भी बुरा हाल
ऐसा नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में सिर्फ बसपा का बुरा हाल रहा. अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा का हाल तो इससे भी खराब रहा. सपा को सिर्फ 0.14 फीसदी वोट मिले. यानी सपा भी नोटा से पिछड़ गई.
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