Uttar Pradesh News: बसपा सुप्रीमो मायावती को निकाय चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड की याद आई है. निकाय चुनाव को लेकर रविवार को लखनऊ में आयोजित को लेकर रविवार को लखनऊ में आयोजित पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि गेस्ट हाउस कांड नहीं होता तो आज सपा और गठबंधन देश पर राज कर रहा होता.
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गेस्टहाउस कांड
बता दें कि मायावती के इस बयान के बाद से एक बार फिर गेस्ट हाउस कांड की चर्चा होने लगी. वहीं इस घटना के बारे में लखनऊ के सीनियर जर्नलिस्ट प्रमोद गोस्वामी ने अपना आंखों देखा हाल यूपी तक को बताया. उन्होंने बताया कि, ‘उस समय मेरे पास फ़ोन नहीं था. मेरे ऑफिस के फोन पर फोन आने लगा तब मैं स्कूटर से वहां (मीराबाई गेस्ट हाउस) पहुंचा. वहां क़रीब सपा के 200 कार्यकर्ता जमा थे जो काफी आक्रोशित थे. शायद इसकी वजह ये है कि सरकार चलाने वाले मुलायम सिंह को अपनी पार्टी चलाने वाले कांशीराम पैर की ओर बिठाते थे.ये तस्वीर अख़बार के छप गयी.’
जानें क्या हुआ था उस दिन
प्रमोद गोस्वामी ने बताया कि सपा कार्यकर्ता नाराजगी के पीछे यह भी कारण के होगा कि बसपा ने सपा से अपना समर्थन वापस लिया था. उन्होंने बताया कि, ‘भद्दी गालियां मायावती को दी जा रही थीं और उनके चेहरे पर साफ डर दिख रहा था. मायावती ने कमरे में बैठक कर रही थीं और सपा कार्यकर्ताओं की संख्या बहुत ज़्यादा थी.’ उन्होंने बताया कि, गेस्ट हाउस में मौजूद सपा कार्यकर्ता पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता नहीं लग रहे थे, ऐसा कहा जा रहा था कि ये अरुण शंकर शुक्ला’अन्ना’ और अतीक़ अहमद के कार्यकर्ता थे. क्योंकि सामान्य कार्यकर्ता इतना दुस्साहस नहीं कर सकता.’
BJP नेता ने की थी फायरिंग
वहीं मीराबाई गेस्ट हाउस में मौजूद बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने सपा कार्यकर्ताओं को डराने के लिए फ़ायरिंग की थी, जिससे वो पीछे हट जाएं. मायावती इसलिए उनका एहसान बाद में भी मानती रहीं . प्रमोद गोस्वामी ने बताया कि गेस्टहाउस कांड राजनीति का एक ऐसा अध्याय था जो इससे पहले कभी नहीं हुआ. इस कांड से दलित+OBC के मिलने का समीकरण ख़त्म हो गए.
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