समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) द्वारा रामचरितमानस पर दिए गए बयान पर सियासी बयानबाजी का सिलसिला लगातार जारी है. इसी कड़ी में सपा की सहयोगी अपना दल (कमेरवादी) की नेता और सिराथू से विधायक पल्लवी पटेल ने रामचरितमानस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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गोंडा में पल्लवी पटेल ने कहा कि ‘तुलसीदास जी संत नहीं अनुवादक थे. उन्होंने विभिन्न रामायणों के अंश लिए और अपने विचार भी रखकर नई पुस्तक का निर्माण किया. बाबा साहब (डॉ. भीमराव अम्बेडकर) ने शूद्र को डिफाइन किया था, जबकि रामचरितमानस की भाषा इसको घृणित प्रूफ करती है.’
पल्लवी पटेल ने कहा कि ‘मैं रामचरितमानस को नहीं मानती हूं, बौद्ध धर्म को मानती हूं. उस (शूद्र) शब्द को लोगों के दिमाग से हटाने के लिए बड़ा आंदोलन करना चाहिए, क्योंकि वह शब्द लोगों के दिमाग में बैठ गया है.’
पल्लवी पटेल ने रामचरितमानस की एक चौपाई में इस्तेमाल किए गए ‘ताड़ना’ शब्द का मतलब टार्चर बताया.
वहीं, पल्लवी पटेल ने स्वामी प्रसाद मौर्य को नसीहत देते हुए कहा कि ‘जब अखिलेश जी कुर्सी (सीएम पद) से हटे थे तब कुर्सी को गंगाजल से धोया गया था, तभी विरोध करना चाहिए था. तब वह भाजपा में मंत्री पद पर थे. उनको (स्वामी मौर्य) को उसी वक्त मंत्री पद से हट जाना चाहिए था.’
बता दें कि स्वामी मौर्य ने पिछले महीने 22 जनवरी को एक बयान में महाकाव्य श्रीरामचरित मानस की आलोचना करते हुए कहा था कि उसके कुछ अंशों से दलितों, पिछड़ों और महिलाओं की भावनाएं आहत होती हैं, लिहाजा इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने पिछले दिनों कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों’ के उल्लेख वाले श्रीरामचरितमानस के ‘पन्ने’ की ‘फोटोकॉपी’ जलाईं थीं. उसके बाद श्रीरामचरितमानस के ‘पन्ने’ की ‘फोटोकॉपी’ जलाने के मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
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