Akhilesh Yadav news: मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पिछड़ने पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने तंज कसते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लेकर दिए गए कमलनाथ के बयान को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. सपा ने हालांकि अगले वर्ष होने वाला लोकसभा चुनाव विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के बैनर तले कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने का संकेत दिया है.
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मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुकाबले कांग्रेस के पिछड़ने पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज सिंह यादव ‘काका’ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ”मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने सपा प्रमुख के खिलाफ अमर्यादित बयान दिया. उन्होंने (कमलनाथ ने) चार बार सांसद और उप्र के मुख्यमंत्री रह चुके सपा प्रमुख को ‘अखिलेश-वखिलेश’ कहा, जिससे मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि जहां भी चुनाव हुए वहां का बहुजन वर्ग और पिछड़े वर्ग के लोग आहत हुए और उसका दुष्प्रभाव नतीजों पर पड़ा.”
काका ने कहा, ”अखिलेश यादव लगातार सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन कमलनाथ सामाजिक न्याय और जातीय जनगणना को लेकर एक शब्द भी नहीं बोले. यह चुनाव परिणाम उनके अहंकार की हार है.” काका ने कहा, ”हम (सपा) तो पांच सीटें मांग रहे थे लेकिन उन्होंने हमारे नेताओं का अपमान किया. अगर पिछड़ों को पांच सीटें नहीं दे सकते तो वोट कैसे मिलेगा.” मनोज काका ने रामधारी सिंह दिनकर की एक रचना ”जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है” सुनाते हुए दोहराया कि यह परिणाम उनके अहंकार की हार है.
गौरतलब है कि अक्टूबर माह में सपा और कांग्रेस के बीच टिकट बंटवारे को लेकर तल्खी बढ़ गयी और विशेष रूप से हरदोई की एक सभा में 20 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से सवाल किया कि वह बताए कि सपा के साथ गठबंधन करेगी या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी को कांग्रेस धोखे में न रखे क्योंकि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लड़ने वाली पहली पार्टी सपा है और कांग्रेस को जब जरूरत होगी तब सपा ही उसके काम आएगी.’’
अखिलेश का यह बयान ऐसे समय आया था जब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गतिरोध उत्पन्न होने की खबरें आ रही थीं. मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने सपा को एक भी सीट देने से इंकार कर दिया था. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं देने से नाराज सपा प्रमुख ने संकेत दिया था कि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी से वैसा ही बर्ताव देखने को मिल सकता है.
सपा प्रमुख की नाराजगी के बाद कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने पलटवार करते हुए कहा था कि सपा उनकी पार्टी को दोष नहीं दे सकती क्योंकि उसने कांग्रेस से पहले अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की थी और अलग से चुनाव लड़कर भाजपा को मजबूती दे रही है. मध्यप्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 17 नवंबर को हुए चुनाव में सपा ने 30 से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी.
2018 के मध्य प्रदेश चुनावों में सपा ने आदिवासी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन में 1.3 प्रतिशत मत हासिल करके एक सीट (बुंदेलखंड क्षेत्र में बिजावर) जीती और पांच पर वह दूसरे स्थान पर रही थी. इस बीच समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और उप्र सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कांग्रेस के प्रति नरम रुख बरतते हुए कहा, ”कांग्रेस और सपा दोनों लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.”
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ”भाजपा लोकतंत्र के लिए खतरा है. लोकतंत्र को जिस तरह आहत किया जा रहा है वह ठीक नहीं है.” चौधरी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ”लोकसभा चुनाव में सपा ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ रहेगी और हम कांग्रेस से मिलकर चुनाव लड़ेंगे.”
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