UP News: लोकसभा चुनाव 2024 का समर अब खत्म हो चुका है. देश ने लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार को ही चुना है. मगर ये लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए यादगार बन गया है. दरअसल अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को हरा दिया है और भाजपा को खुद के दम पर बहुमत लाने से भी रोक दिया है. सपा ने यूपी में शानदार प्रदर्शन करते हुए यूपी की 80 में से 37 लोकसभा सीट अपने नाम की हैं. इनमें वह सीट भी शामिल हैं, जहां अखिलेश-डिंपल समेत यादव परिवार के 5 सदस्य खड़े हुए थे.
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ऐसे में अबकी बार जहां सपा ने यूपी में अपना नया रिकॉर्ड बनाया है तो वही अब सपा चीफ अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव की जोड़ी भी एक खास रिकॉर्ड अपने नाम करने जा रही है. दरअसल डिंपल ने मैनपुरी तो वही अखिलेश ने कन्नौज सीट से चुनाव जीता है. ऐसे में अब ये दोनों एक साथ ही लोकसभा सदस्य बनकर सदन में जा रहे हैं. ऐसे में वह यूपी के पहले ऐसे दंपत्ति होने जा रहे हैं, जो एक ही पार्टी से चुनाव जीतकर, एक साथ लोकसभा जा रहे हैं.
अखिलेश और डिंपल बनाने जा रहे अनोखा रिकॉर्ड
बता दें कि सपा चीफ अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव पहली बार एक साथ लोकसभा जा रहे हैं. ऐसे में अखिलेश और डिंपल, यूपी के पहले दंपत्ति होने जा रहे हैं, जो एक साथ सांसद बने हैं और एक साथ ही लोकसभा पहुंच रहे हैं.
दरअसल साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट पर जीत हासिल की थी. मगर इस दौरान कन्नौज से डिंपल यादव को हार का सामना करना पड़ा था. फिर साल 2022 में डिंपल यादव ने मैनपुरी से उपचुनाव लड़ा था और वह सदन पहुंची थीं. मगर तब तक अखिलेश यादव सदन की सदस्यता छोड़ चुके थे. ऐसे में ये दोनों कभी एक साथ लोकसभा नहीं पहुंचे. मगर अब ये अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल एक साथ लोकसभा पहुंच रहे हैं. यूपी से पहली बार कोई दंपत्ति एक साथ सदन जा रहा है.
हेमा मालिनी और धर्मेंद्र के नाम भी है ये रिकॉर्ड
आपको बता दें कि इससे पहले हेमा मालिनी और उनके पति धर्मेंद्र भी एक साथ सदन पहुंचे चुके हैं. मगर दोनों अलग-अलग सदनों का हिस्सा रहे थे. जहां हेमा मालिनी राज्यसभा सांसद थी तो वही धर्मेंद्र उस दौरान लोकसभा पहुंचे थे.
बिहार के नेता पप्पू यादव भी इस मामले में आगे रहे हैं. वह और उनकी पत्नी रंजीत रंजन भी एक साथ 2-2 बार लोकसभा जा चुके हैं. साल 2004 और 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों ने जीत हासिल की और सदन पहुंचे. मगर इन दोनों की पार्टियां अलग-अलग थीं.
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