बीजेपी में इन दिनों एक नया ‘सिरदर्द’ उभर चुका है और वह है महाराष्ट्र की राजनीति के नए मोहरे राज ठाकरे के खिलाफ कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह का ओपन चैलेंज. बृजभूषण शरण सिंह ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे को अयोध्या में न घुसने देने का तब तक ऐलान कर दिया है, जब तक वह उत्तर भारतीयों पर पहले किए गए हमले या फिर उनके बयानों के लिए माफी न मांग लें. बृजभूषण शरण सिंह यहीं नहीं रुक रहे हैं, बल्कि वह अयोध्या के आसपास और पूर्वाचल के जिलों में घूम-घूम कर 5 जून के लिए यह तैयारी भी कर रहे हैं. कहीं, राज ठाकरे को अगर रोकना पड़े तो लोगों को भी अयोध्या ला सकें. बृजभूषण सिंह ने ‘अयोध्या चलो’ का नारा भी दिया है.
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बीजेपी ने शुरू में बृजभूषण शरण सिंह के बयान को हल्के में लिया, लेकिन अब यह मामला बड़ा होता जा रहा है. क्योंकि कैसरगंज के सांसद ने लगभग यह ठान लिया है कि वह इस मुद्दे पर बीजेपी से अलग हटकर राजनीति करेंगे और चाहे जो हो वह राज ठाकरे के खिलाफ उत्तर प्रदेश में सियासत को हवा देंगे.
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब बीजेपी राज ठाकरे को महाराष्ट्र में ‘जोड़ने की कवायद’ में है तो आखिर बीजेपी का यूपी का यह सांसद क्यों पार्टी लाइन से अलग एक ऐसी लाइन ले चुका है, जिससे महाराष्ट्र में बीजेपी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल, बृजभूषण शरण सिंह को लगता है कि पूर्वांचल में राज ठाकरे के खिलाफ माहौल बनाकर वह इन इलाकों में अपनी एक अलग राजनैतिक पहचान बना लेंगे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मदद कर सकता है.
ऐसा कहा जा रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह अंदर ही अंदर बीजेपी नेताओं से खफा रहते हैं. दूसरी बात ये कि बीजेपी के भीतर बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं मिलने की वजह से बृजभूषण शरण सिंह को यह मुद्दा इस लिए मुफीद दिख रहा है कि इसके जरिए वह अपनी नाराजगी केंद्रीय नेतृत्व तक सीधे पहुंचाएंगे और इस मुद्दे पर बीजेपी नेतृत्व हो सकता है, उनकी कई दूसरी मांगों पर झुक जाए.
इसका असर भी दिखने लगा है. शाहनवाज हुसैन जोकि यूं तो बिहार में नीतीश सरकार में मंत्री हैं, लेकिन बीजेपी के बड़े नेता माने जाते हैं. शाहनवाज हुसैन दिल्ली दरबार में बड़ी पैठ रखते हैं. इस बीच उन्होंने मंगलवार को बृजभूषण शरण सिंह से मुलाकात की और उनकी बड़ी तारीफ की. हालांकि, इस मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात कहा गया, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि केंद्रीय नेतृत्व बृजभूषण शरण सिंह से संपर्क साधने में जुटा है.
बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह 6 बार के सांसद हैं. उनका बेटा दूसरी बार विधायक बना है, लेकिन बीजेपी सरकार में न तो उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया ना ही उत्तर प्रदेश में उनके बेटे को मंत्रिमंडल में जगह मिली. ऐसे में पार्टी को लेकर उनकी नाराजगी अंदर ही अंदर पनप रही है.
बृजभूषण शरण सिंह का यह स्टैंड पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला है. वह पूर्वांचल में अपने को बड़ा ठाकुर नेता मानते हैं. हालांकि योगी आदित्यनाथ से उनके संबंध अच्छे माने जाते हैं. मगर ठाकुर नेता के तौर पर खुद को किसी से कम भी नहीं मानते और पूर्वांचल का बड़ा ठाकुर नेता खुद को स्थापित करने में तुले हैं.
माना जा रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह ने इस बार बीजेपी को अपनी ताकत दिखाने का मन बना लिया है और यही बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा करने के लिए काफी है.
एक चर्चा और है कि बृजभूषण शरण सिंह को इस मामले में ताकत पर्दे के पीछे से भी मिल रही है. उन्होंने राज ठाकरे की जगह शिवसेना की ‘तारीफ’ की है और अयोध्या के कुछ साधु-संतों को अपने साथ भी जोड़ा है. दरअसल, बृजभूषण सिंह का यह स्टैंड केंद्रीय नेतृत्व के साथ-साथ सीएम योगी को भी असहज करने के लिए काफी है. चर्चा यह कि बृजभूषण सिंह इसलिए एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं.
आपको बता दें कि कैसरगंज, अयोध्या से बिल्कुल सटा है. उस इलाके में ब्रजभूषण शरण सिंह की अच्छी खासी पैठ मानी जाती है. ऐसे में इनकी चेतावनी को हल्के में बीजेपी नहीं ले सकती. तो क्या बृजभूषण शरण सिंह इस बार केंद्रीय नेतृत्व और यूपी सरकार दोनों को अपनी ‘हैसियत’ दिखा देना चाहते हैं? और कहीं न कहीं अपनी इसी ताकत के बदौलत आगे की अपनी सियासत को सुरक्षित करना चाहते हैं.
माना जा रहा है कि मुंबई में उनके संबंधों को देखते हुए उनका यह स्टैंड बीजेपी को परेशान करने वाला है.
BJP सांसद बृजभूषण की राज ठाकरे को चेतावनी, ‘बिना माफी मांगे अयोध्या में घुसने नहीं देंगे’
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