UP Political News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को मॉल एवेन्यू स्थित बसपा के राज्य मुख्यालय पर ‘जन कल्याण दिवस’ के रूप में मनाए जा रहे अपने 67वें जन्मदिन के मौके पर रविवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में कानून व्यवस्था ठीक करने की आड़ में जो घिनौनी राजनीति हो रही है वह किसी से छिपी नहीं है.”
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इस मौके पर पार्टी छोड़कर गए पुराने नेताओं को वापस बसपा में जोड़ने का सवाल बसपा सुप्रीमो मायावती से पूछे जाने पर उन्होंने कहा,
“जो नेता छोड़ कर जा चुके हैं, जो दूसरे दलों में इधर से उधर घूम रहे हैं, उन्हें बसपा वापस नहीं लेगी. जिनका कमिटमेंट बाबा साहब के विचारों और मान्यवर कांशीराम के मिशन से अलग हो चुका है, उन्हें वापस लेने का सवाल ही नहीं.”
मायावती
भले ही मायावती इस वक्त ऐतिहासिक रूप से सबसे कम वोट प्रतिशत पर खड़ी हों, बेशक उनके पास विधायक के नाम पर सिर्फ एक विधायक मौजूद हो, लेकिन बीएसपी अपने स्टैंड से टस से मस होती नहीं दिखाई दे रही है.
मायावती ने बसपा छोड़कर गए नेताओं के प्रति अपना रुख और भी कड़ा कर लिया है. आपको बता दें कि हाल ही के दिनों में कई नेताओं ने मायावती की जमकर तारीफ की थी. जिनमें एक नाम ओमप्रकाश राजभर का भी है. ओमप्रकाश राजभर लगातार मायावती और बसपा की तारीफ कर रहे हैं. यहां तक कि वह कह चुके हैं कि वह बसपा के साथ गठबंधन भी करना चाहते हैं. कई नेता जो सपा और कांग्रेस में हैं, वह भी बीएसपी लौटने के ख्वाहिशमंद थे. लेकिन मायावती ने साफ कर दिया है कि पार्टी से गए नेताओं की वापसी नहीं होगी.
पसमांदा पॉलिटिक्स को लेकर भी मायावती ने अपना रुख साफ किया. उनके मुताबिक पसमांदा और मुसलमान दोनों को अलग-अलग नहीं किया जा सकता. बकौल मायावती, मुसलमान पहले मुसलमान होता है उसके बाद पसमांदा.
Birthday Special: यूपी की कितनी बार और कब-कब मुख्यमंत्री रहीं हैं मायावती?
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