Nari Shakti Vandan Adhiniyam: मोदी सरकार ने नए भवन में संसद का विशेष सत्र बुलाकर निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देने वाला महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया है. अब विपक्ष ने इस विधेयक में खासकर ओबीसी तबके की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं करने के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर लिया है. विपक्ष के INDIA अलायंस की टॉप लीडरशिप ने विधेयक का समर्थन तो किया, लेकिन ओबीसी आरक्षण नहीं देने पर सरकार की मंशा पर जमकर सवाल उठाए हैं. विपक्ष के इस विरोध की अगुवाई लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान सोनिया गांधी ने की है. यूपी की रायबरेली सीट से सांसद सोनिया गांधी ने अपने ‘जीवन साथी’ राजीव गांधी का जिक्र भी महिला आरक्षण के संदर्भों में किया है.
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सोनिया गांधी ने SC, ST और OBC तबके की महिलाओं के लिए की आरक्षण की मांग
सोनिया गांधी ने बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में विपक्षी संबोधन की अगुवाई की. सोनिया गांधी ने विधेयक पर बोलने के दौरान शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस की तरफ से वह इसके समर्थन में बोल रही हैं.
स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन: सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में कहा, ‘धुएं से भरी रसोई से लेकर रोशनी से जगमाते स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है. उसने जन्म दिया, उसने परिवार चलाया, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और असीम धीरज के साथ अक्सर खुद को हारते हुए लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा. भारतीय स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है, उसने खुद के साथ हुई बेइमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा. उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरह अडिग रही है. स्त्री के धैर्य का अंदाज लगाना नामुमकिन है, वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती. हमारे महान देश की मां है स्त्री. लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया है, अपने आंसुओं, खून-पसीने से सींचकर हमें अपने बारे में सोचने लायक बुद्धिमान और शक्तिशाली भी बनाया है.’
सरोजनी नायडू से लेकर इंदिरा गांधी तक को किया याद
सोनिया गांधी ने आगे कहा, ‘स्त्री की मेहनत, स्त्री की गरिमा और स्त्री के त्याग की पहचान कर ही हमलोग मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सकते हैं. आजादी की लड़ाई और नए भारत के निर्माण के हर मोर्चे पर स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है. वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर-गृहस्थी के बोझ की तकलीफों के नीचे नहीं दबी. सरोजनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजय लक्ष्मी पंडित, राज कुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाखों महिलाओं से लेकर आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल बाबा साहब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है.’
पति और पूर्व पीएम राजीव गांधी को लेकर इमोशनल दिखीं सोनिया
सोनिया गांधी ने इस दौरान इंदिरा गांधी के साथ-साथ अपने पति और पूर्व पीएम राजीव गांधी का भी जिक्र किया. सोनिया गांधी ने कहा, ‘इंदिरा गांधी जी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन है. खुद मेरी जिंदगी का यह बहुत मार्मिक क्षण है. पहली दफा स्थानीय निकायों में स्त्रियों की भागीदारी तय करने का संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी लाए थे. उन्होंने लाया था राज्यसभा में जो 7 वोटों से गिर गया था. बाद में पीएम पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने उसे पारित कराया. आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं. राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है. इस बिल के पारित होने के साथ ही वह पूरा होगा.’
ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की
कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है. हमें इस बिल के पास होने से खुशी है, मगर इसके साथ-साथ एक चिंता भी है. मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं. पिछले 13 वर्षों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं. अब उन्हें कुछ और वर्ष इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है. कितने वर्ष 2, 4, 6, 8? क्या भारतीय स्त्रियों के साथ यह बर्ताव उचित है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह बिल फौरन अमल में लाया जाए, लेकिन इसके साथ ही जातिगत जनगणना कराकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की महिलाओं के भी आरक्षण की व्यवस्था की जाए. सरकार को इसे साकार करने के लिए भी जो कदम उठाने की जरूरत है, वह उठाने ही चाहिए.’
सोनिया ने आगे कहा, ‘स्त्रियों के योगदान को स्वीकार करने और उसके प्रति आभार व्यक्त करने का यह सबसे उचित समय है. इस बिल को लागू करने में और देरी करना भारतीय स्त्रियों के साथ घोर नाइंसाफी होगी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से मैं सरकार से मांग करती हूं कि नारि शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के रास्ते की सारी रुकावट को दूर करते हुए जल्दी से जल्दी लागू किया जाए.’
आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस बिल में ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की वकालत की है.
इसके अलावा INDIA अलायंस के दूसरे घटक दलों में शामिल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी मोदी सरकार को घेरा है. अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा, ‘नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू करी है. जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएँगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी. भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है. ये आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी.’
इससे पहले अखिलेश यादव ने एक दूसरे ट्वीट में मांग की थी कि, ‘महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.’
साफ तौर पर विपक्ष ने महिला आरक्षण बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था न होने की बात कहकर 2024 के लिए नया चुनावी एजेंडा तय करने की कोशिश की है. ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार इस बिल पर विपक्ष के हमलों का जवाब कैसे देती है.
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